श्रुति लेख
शैतान शिकार की ताक में रहने वाला सिंह है, वह हमारा शत्रु है जो इस समय ख्रीष्टियोंं को फाड़ खाने की ताक में है।
परन्तु क्या वह हमें फाड़ खा सकता है? क्या हम सुरक्षित हैं? और वैसे भी इसका अर्थ क्या है? और हम ऐसे अदृश्य जोखिम से अपनी अनन्त सुरक्षा हेतु कैसे आश्रय पा सकते हैं?
जॉन पाइपर ने इस महत्वपूर्ण प्रश्न पर 1 पतरस 5 से दिए गए एक सन्देश में सीधी रीति से बात किया है, जिसका प्रचार उन्होंने सन् 1994 में किया था। उन्होंने इस विषय में जो कुछ भी कहा था उसका वर्णन इस प्रकार है।
प्रश्न इस प्रकार से है।
क्या ख्रीष्टियों को फाड़ खाया (या नष्ट किया जा) सकता है?
पहला पतरस 5:8 कहता है, “तुम्हारा शत्रु शैतान गर्जने वाले सिंह की भाँति इस ताक में रहता है कि किसको फाड़ खाए।” यहाँ जिस शब्द का उपयोग किया गया है वह है “सम्पूर्णता से निगलना,” जैसे मछली ने योना को निगल लिया था: योना की पुस्तक में इसी शब्द का उपयोग सेप्टुआजेंट-Septuagint (अर्थात् पुराने नियम के यूनानी अनुवाद) में हुआ है। आपका शत्रु शैतान पूर्णता: आपको लुप्त करना चाहता है, मिटा देना चाहता है। आप यहाँ से निकल गए हैं। आप चले गए हैं। आप उसके साथ आग की झील में जा रहे हैं। “फाड़ खाने” का यही अर्थ है। अब प्रश्न यह है कि क्या ऐसा मेरे और आपके साथ हो सकता है?
1 पतरस 5:9 कहता है, “उसका विरोध करो।” और उसका विरोध आपको इसलिए करना है क्योंकि वह आपको फाड़ खाने का प्रयास कर रहा है। वह आपको फाड़ खाने का प्रयास कर रहा है। उसका विरोध करो। क्या यह नाटक है? क्या ये उन युद्ध सम्बन्धी खेलों के समान है जिनमें खाली बन्दूक का उपयोग होता है। बन्दूक में गोलियाँ नहीं होती हैं। और न ही इस खेल में किसी की मृत्यु होती है। इस खेल में तो केवल “उसका विरोध” करना है क्योंकि— इस कार्य को तो करना ही है। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो वास्तव में कुछ भी होने वाला नहीं है, क्योंकि ऐसा ख्रीष्टियों के साथ नहीं होता है। क्या यह बात सत्य है? मेरे विचार से फाड़ खाना सत्य है, और निश्चित रूप से यह मेरे लिए गम्भीर प्रतीत होता है जब पतरस कहता है, कि उसका विरोध करो, उसका विरोध करो। यह किसी खेल के समान प्रतीत नहीं होता है। यह तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे मेरे लिए नरक और स्वर्ग दाँव पर लगा हुआ है।
इसलिए मैं इस प्रश्न को पुनः पूछता हूँ। क्या एक सच्चा नए जन्म पाए हुए ख्रीष्टीय के लिए यह सम्भव है कि उसे शैतान द्वारा फाड़ खाया जा सके? और इसका उत्तर है नहीं, क्योंकि सच्चा नया जन्म पाए हुए ख्रीष्टीय सदैव युद्ध करते हैं। वे वापस लड़ाई करते हैं। एक सच्चा नए जन्म पाए हुए ख्रीष्टीय होने का यही अर्थ है। सच्चा नए जन्म पाए हुए ख्रीष्टियों के भीतर पवित्र आत्मा है, इसलिए जब वे सिंह को अपनी ओर आते हुए देखते हैं तो वे यह नहीं कहते हैं, “अरे, यहाँ कुछ भी तो दाँव पर नहीं लगा है। मुझे लड़ने की आवश्यकता नहीं है। मुझे अपने विश्वास को जगाने की आवश्यकता नहीं है। मुझे बाइबल पढ़ने की आवश्यकता नहीं है। मुझे प्रार्थना करने की आवश्यकता नहीं है। मुझे अन्य विश्वासियों की संगति में रहने की आवश्यकता नहीं है। मुझे अपनी आँखों के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता नहीं है और न ही इस बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि मेरा शरीर कहीं मुझ पर हावी न हो जाए—क्योंकि यहाँ तो कुछ भी दाँव पर नहीं लगा है।” सच्चे, नया जन्म पाए हुए विश्वासी इस प्रकार से बातें नहीं करते हैं। सच्चे, नया जन्म पाए हुए विश्वासियों के भीतर पवित्र आत्मा वास करता है और वे परमेश्वर के वचन को गले लगाते हैं जिसको आत्मा ने प्रेरित किया है। वे वचन को सुनते हैं, “अब उसका विरोध करो। लड़ो, क्योंकि आपका जीवन इसी पर निर्भर है। मैं तुम्हें सफलता दूँगा परन्तु तुम लड़ो।” और वे लड़ते हैं। यदि आप नहीं लड़ते हैं, तो सम्भवतः आप नया जन्म पाए हुए व्यक्ति नहीं हैं।
फिर भी यदि आप निरन्तर विश्वास की सतर्कता से फिसलकर दूर जाते रहते हैं और पाप तथा शैतान से लड़ने में चूक जाते हैं, तो आपके पास यह सोचने का कोई कारण नहीं है कि आप बचाए गए हैं। इस बात का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है कि आपने बहुत पहले क्या प्रार्थना की थी। इस बात का कोई अर्थ नहीं बनता है कि आपने सुसमाचार के किसी पर्चे पर हस्ताक्षर किए हैं। आपका बपतिस्मा भी कोई महत्व नहीं रखता है। न ही इस बात का कोई महत्व है कि आपके माता-पिता ने क्या किया है। उद्धार वास्तविक है। यह वास्तविक है। यह मनुष्य के हृदय में परमेश्वर का कार्य है और इसके प्रभाव भी स्पष्ट होंगे। और इसका एक प्रभाव यह भी है कि जब सिंह आता है तो आप लड़ते हैं।
इस खण्ड में एक प्रतिज्ञा है जो चौंका देने वाली है। वह इस खण्ड में है। यह प्रतिज्ञा अध्याय 1 में भी पाई जाती है। 1 पतरस 1:5 बताता है कि ख्रीष्टियों की “रक्षा” की जाती है (या, जैसा कि एक अन्य अनुवाद कहता है, “संरक्षित” है) — बहुमूल्य वचन: “तुम्हारी रक्षा परमेश्वर के सामर्थ्य के द्वारा विश्वास से उस उद्धार के लिए की जाती है जो अन्तिम समय में प्रकट होने पर है,”— विश्वास के द्वारा, शैतान का विरोध करने के द्वारा, अपने विश्वास में दृढ़ रहने के द्वारा। यदि आप कहते हैं, “मेरी रक्षा होती है, मेरी रक्षा परमेश्वर की सामर्थ्य के द्वारा होती है,” और यदि आप उसका विरोध नहीं करते हैं, विश्वास में दृढ़ नहीं बनते हैं, तो आप परमेश्वर की बात का खण्डन कर रहे हैं।
परमेश्वर कहता है, “मैं अपनी सामर्थ्य से और तुम्हारे विश्वास के द्वारा शैतान के विरुद्ध तुम्हारी रक्षा करने जा रहा हूँ।” और आप कहते हैं, “मैं इसे स्वीकार करता हूँ, परन्तु मैं विश्वास नहीं करूँगा। यह तो कुछ इस प्रकार की बात है जैसे मानो मैं एक राजा के महल में जाता हूँ, यह महान राजा किसी जादुई साम्राज्य में है, और वह अपनी उंगली से अंगूठी उतारता है और मेरी उंगली में पहना देता है, और वह कहता है, “जॉन, जब तक आप इस अंगूठी को पहने रहेंगे तब तक आप अजेय रहेंगे।” और मैं कहता हूँ कि “क्या मैं अजेय रहूँगा?” और वह कहता है कि हाँ “आप अजेय होगे।” और मैं प्रतिउत्तर में कहता हूँ कि “मैं इस बात को लिख लूँगा कि मैं अजेय रहूँगा।” और फिर मैं बाहर चला जाता हूँ। मैं अंगूठी उतारता हूँ और उसे बेच देता हूँ, और पैसों को अपनी जेब में रखकर कहता हूँ, मैं अजेय हूँँ। क्योंकि उसने कहा था। मेरे पास यह लिखा हुआ है कि तुम अजेय होगे।”
यहाँ पर कुछ गड़बड़ है। कुछ तो गड़बड़ है हमारे सुनने में जब हम परमेश्वर को यह कहते हुए सुनते हैं कि “तुम्हारी रक्षा विश्वास के द्वारा मेरे सामर्थ्य से उस उद्धार के लिए की जाती है जो प्रकट होने पर है,” और फिर हम प्रतिउत्तर करते हैं कि, “क्योंकि मेरी रक्षा उसके सामर्थ्य के द्वारा होती है। तो इसलिए जब फाड़ खाने वाला सिंह आता है तो मुझे विश्वास से लड़ने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मैं सुरक्षित हूँ।” ऐसा कथन तो अपनी अँगूठी उतारने के समान है।
परन्तु परमेश्वर चुने हुओं को—जो परमेश्वर द्वारा जन्म पाए हुए हैं तथा बुलाए हुए लोगों को — अँगूठी उतारने नहीं देगा। परमेश्वर की सन्तान होने का प्रमाण यह है कि आप अँगूठी को पहने रहेंगे। युद्ध तो परमेश्वर के बच्चों के लिए एक बिल्ले (badge) की नाई है। परमेश्वर के बच्चों के लिए बिल्ला, सिद्धता नहीं है परन्तु पाप और शैतान के विरुद्ध युद्ध करना है। वह बिल्ला तथा वह मुकुट जो बाद में आता है। परन्तु मैं वह लड़ाई लडूँगा। मैं अपनी ढाल नीचे नहीं डालूँगा। मैं अपनी अँगूठी नहीं उतारूँगा। मैं अपना बिल्ला नहीं फेकूँगा क्योंकि मैं एक विश्वासी हूँ। और वह मुझे उस विश्वास के द्वारा सुरक्षित रखेगा जिसके द्वारा वह स्वयं ही मुझ में कार्य करता है।