यीशु उस रीति से परमेश्वर से सम्बन्धित है जिस रीति से प्रकाश महिमा से सम्बन्धित है, या जिस प्रकार से सूर्य की किरणें सूर्य से सम्बन्धित हैं।
इस बात को ध्यान में रखिए कि परमेश्वर और सृष्टि के मध्य की हर एक उपमा असिद्ध है और यदि आप उस पर अधिक बल देंगे तो वह विकृत हो जाएगी। फिर भी, उदाहरण के लिए इन पर विचार कीजिए,
- ऐसा कोई भी समय नहीं होता है जब सूर्य बिना प्रकाश के अस्तित्व में हो। उनको एक दूसरे से पृथक नहीं किया जा सकता है। प्रकाश महिमा के साथ सह-शाश्वत है। ख्रीष्ट परमेश्वर पिता के साथ सहशाश्वत है।
- प्रकाश बाहर उज्जवल होने वाली महिमा है। यह सारतात्विक रूप से महिमा से भिन्न नहीं है। ख्रीष्ट परमेश्वर से पृथक है परन्तु सारतात्विक रीति से पिता से भिन्न नहीं है।
- इसलिए प्रकाश अनन्तकाल से उत्पन्न है, मानो कि, महिमा के द्वारा — अर्थात् उससे सृजा नहीं गया या बनाया नहीं गया है। यदि आप सूर्य के प्रकाश में सौर ऊर्जा से चलने वाला कैलकुलेटर लगाते हैं, तो कैलकुलेटर पर संख्या दिखाई देगी। आप कह सकते हैं कि ये तो सूर्य के द्वारा सृजे या बनाए गए हैं, परन्तु वे स्वयं वह नहीं हैं जो कि सूर्य है। किन्तु सूर्य की किरणें तो सूर्य का ही विस्तार हैं। तो ख्रीष्ट अनन्तकाल से परमेश्वर से उत्पन्न है, परन्तु वह बनाया या सृजा नहीं गया है।
- हम सूर्य की किरणों को देखने के माध्यम से सूर्य को देखते हैं। तो हम यीशु को देखने के द्वारा परमेश्वर पिता को देखते हैं। सूर्य की किरणें सूर्य को छोड़ने के बाद यहाँ पर लगभग 8 मिनट के बाद पहुँचती हैं, और जो आग का गोलाकार पिण्ड है जिसे हम आकाश में देखते हैं वह सूर्य की छवि है — अर्थात् उसका सटीक प्रतिरूप है; इसलिए नहीं क्योंकि वह सूर्य की चित्रकारी है, परन्तु यह सूर्य है जो अपने प्रकाश में चमक रहा है।
इसलिए मैं इस महान जन को आपके सम्मुख प्रस्तुत करता हूँ कि आप उस पर भरोसा रखें और उससे प्रेम करें और उसकी आराधना करें। वह जीवित है और वह सम्पूर्ण सामर्थ्य और अधिकार के साथ परमेश्वर के दाहिने हाथ पर बैठा है और एक दिन महान् महिमा में आएगा। उसके पास वह ऊँचा स्थान है क्योंकि वह स्वयं परमेश्वर का पुत्र है, “वह उसकी महिमा का प्रकाश और उसके तत्व का प्रतिरूप है।”