आज का कार्य करने की उर्जा

डरते और काँपते हुए अपने उद्धार का काम पूरा करते जाओ, क्योंकि स्वयं परमेश्वर अपनी सुइच्छा के लिए तुम्हारी इच्छा और कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए तुम में सक्रिय है। (फिलिप्पियों 2:12-13)

यहाँ पर निर्णायक कर्ता परमेश्वर है। अपने उद्धार का काम पूरा करते जाओ . . . क्योंकि स्वयं परमेश्वर तुम में तुम्हारी इच्छा तथा कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए सक्रिय है। परमेश्वर अपनी सुइच्छा के लिए हम में इच्छा उत्पन्न करता और कार्य करता है। परन्तु इस बात में विश्वास करना एक विश्वासी को निष्क्रिय नहीं बनाता है। यह तो उन्हें आशावान, ऊर्जावान एवं साहसी बनाता है।

हमारी प्रति दिन की विशेष सेवकाई में एक कार्य किए जाने की आवश्यकता है। पौलुस हमें आज्ञा देता है कि हमें इसे करते रहना है। किन्तु वह हमें बताता है कि हमें इसे उस सामर्थ्य से करना है जिसे परमेश्वर प्रदान करता है: उस पर भरोसा करो! इस प्रतिज्ञा पर भरोसा करो कि आज भी परमेश्वर अपनी सुइच्छा के लिए आप में इच्छा उत्पन्न करता और कार्य करता है।

परमेश्वर ही है जो प्रत्येक क्षण हम में कार्य करता है, और यह हमारे वर्तमान के अनुभव में भविष्य-के-अनुग्रह की प्रतिज्ञा को लेकर आता है। पौलुस जब हमें समझाता है की कैसे हमें अपने उद्धार का काम पूरा करते जाना है तो वह अपना ध्यान भूतकाल में प्रदत्त अनुग्रह के प्रति आभार पर नहीं केन्द्रित कर रहा होता है। मैं इस बात को इस कारण से कह रहा हूँ क्योंकि बहुत से ख्रीष्टियों से जब आज्ञाकारिता की मनसा के विषय में पूछा जाता है तो वे कहते हैं कि वह तो कृतज्ञता है। किन्तु पौलुस यहाँ पर जब कार्य करने की मनसा तथा सामर्थ्य पर बल देता है तो वह कृतज्ञता के विषय पर बल नहीं दे रहा है। वह तो इस विश्वास पर ध्यान केन्द्रित करता है कि परमेश्वर अभी और क्या करेगा, न कि परमेश्वर ने क्या किया है। अपने उद्धार का काम पूरा करते जाओ! क्यों? कैसे? क्योंकि परमेश्वर की ओर से प्रत्येक क्षण के लिए नवीन अनुग्रह उपलब्ध है। प्रत्येक बार जब आप इच्छा करते और कार्य करते हैं, तो वह आपकी इच्छा करने तथा कार्य करने में सक्रिय है। अगले घण्टे में तथा अलगे दस हजार वर्षों में आने वाली चुनौतियों के लिए इस बात पर भरोसा कीजिए।

भविष्य-के-अनुग्रह की सामर्थ्य जीवित ख्रीष्ट की सामर्थ्य है — जो सदैव भविष्य के प्रत्येक क्षण हम में कार्य करने के लिए उपलब्ध है। इसलिए जब पौलुस परमेश्वर के उस अनुग्रह का वर्णन करता है जो उसके साथ था, तो वह कहता है, “उन बातों को छोड़, मैं अन्य किसी बात में कहने का साहस नहीं करूँगा जो ख्रीष्ट में आयहूदियों की आज्ञाकारिता के लिए वचन और कर्म से . . .  मेरे ही द्वारा पूर्ण किया है।” (रोमियों 15:18)

इसलिए, क्योंकि जो ख्रीष्ट ने उसकी सेवकाई के द्वारा पूर्ण किया है, उसको छोड़कर वह किसी अन्य बात को कहने का साहस नहीं करना चाहता था, और फिर भी वह कहता है कि अनुग्रह ने मेरे साथ मिलकर पूर्ण किया है (1 कुरिन्थियों 15:10),  तो अवश्य ही इसका अर्थ यह है कि अनुग्रह की सामर्थ्य ख्रीष्ट की सामर्थ्य है।

इसका अर्थ यह हुआ कि सेवकाई में अगले पाँच मिनट के लिए और अगले पाँच दशकों के लिए जो सामर्थ्य हमें चाहिए, वह सर्वसामर्थी ख्रीष्ट की ओर से आने वाला भविष्य-का-अनुग्रह है, जो सदैव हमारे लिए उपलब्ध है — जो उसकी सुइच्छा के लिए इच्छा उत्पन्न करने तथा कार्य करने के लिए तैयार है।

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जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

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