बैतलहम का अलौकिक तारा।
ख्रीष्ट आगमन | आठवाँ दिन
जॉन पाइपर द्वारा भक्तिमय अध्ययन

जॉन पाइपर द्वारा भक्तिमय अध्ययन

संस्थापक और शिक्षक, desiringGod.org

“यहूदियों का राजा जिसका जन्म हुआ कहाँ है? क्योंकि हमने पूर्व में उसका तारा देखा है, और उसको दण्डवत् करने आए हैं।” (मत्ती 2:2)

बार-बार, बाइबल हमारी जिज्ञासा को विस्मित करती है कि कुछ विशेष बातें किस प्रकार घटित हुईं। यह “तारा” मजूसियों को पूर्व से यरूशलेम तक कैसे लेकर आया? 

यहाँ यह नहीं कहा गया है कि इसने उनकी अगुवाई की या यरूशलेम के मार्ग पर उनके आगे-आगे चला। यहाँ मात्र यह कहा गया है कि उन्होंने पूर्व में एक तारा देखा (मत्ती 2:2) और वे यरूशलेम चले आए। और वह तारा कैसे यरूशलेम से बैतलहम की उस छोटी पाँच मील की पैदल-दूरी पर उनके आगे-आगे गया जैसा कि मत्ती 2:9 बताता है? और वह तारा “उस स्थान पर कैसे ठहरा रहा जहाँ बालक था?”

उत्तर है: हम नहीं जानते। ग्रहों के संयोजन या धूमकेतु या अधिनव तारे या चमत्कारी ज्योतियों के सन्दर्भ में इसे समझाने के अनेक प्रयास किए गए हैं। किन्तु हम नहीं जानते। और मैं आपसे यह कहना चाहता हूँ कि आप इसी विचार में फँस कर न रह जाएँ—उसी बात पर विचार न करते रहें— अर्थात् उन सिद्धान्तों पर जो अन्त में केवल अनिश्चित हैं और जिनका आत्मिक महत्व बहुत कम है।

मैं आपको चिताने के लिए एक सामान्यीकरण करने का जोखिम उठा रहा हूँ: ऐसे लोग जो इस प्रकार की बातों पर विचार करते रहते हैं और उन्हीं में फँसे रहते हैं, कि तारे ने कैसे काम किया और लाल समुद्र कैसे विभाजित हुआ और मन्ना कैसे गिरा और योना मछली से कैसे बचा और चन्द्रमा कैसे लहू के रंग में बदल जाता है, सामान्यतः ये वे लोग होते हैं जिन्हें मैं ऐसी मानसिकता का मानता हूँ जो अल्प महत्व की बातों में समय व्यतीत करते हैं।

आप उन्हें सुसमाचार की महान् प्रमुख बातों का गहराई से आनन्द लेते हुए नहीं देखते हैं: परमेश्वर की पवित्रता, पाप की कुरूपता, मनुष्य की असहायता, ख्रीष्ट की मृत्यु, केवल विश्वास द्वारा धर्मी ठहराया जाना, आत्मा के द्वारा पवित्रीकरण का कार्य, ख्रीष्ट के पुनरागमन की महिमा, और अन्तिम न्याय। आप उन्हें किसी ऐसे नए लेख या पुस्तक के साथ सदा आप को मार्ग से भटकाते हुए देखते हैं जो उन्हें किसी अल्प महत्व के विषय पर विचार करने के लिए उत्साहित करती है। किन्तु महान् तथा मुख्य वास्तविकताओं के विषय में बहुत कम आनन्द मनाया जाता है।

परन्तु इस तारे के विषय में एक बात स्पष्ट है कि वह जो कुछ भी कर रहा है वह उसे स्वयं नहीं कर सकता है: वह मजूसियों का मार्गदर्शन कर रहा है जिससे कि वे परमेश्वर के पुत्र की आराधना कर सकें।

बाइबल की विचारधारा के अनुसार केवल एक ही व्यक्ति है जो सितारों के उद्देश्य के पीछे हो सकता है: और वह स्वयं परमेश्वर ही है।

इसलिए यह शिक्षा स्पष्ट है: परमेश्वर विदेशियों का मार्गदर्शन कर रहा है जिससे कि वे ख्रीष्ट की आराधना कर सकें। और वह इसको पूर्ण करने के लिए वैश्विक—सम्भवतः सार्वभौमिक—प्रभाव और सामर्थ्य का उपयोग कर रहा है।

लूका दिखाता है कि परमेश्वर ने सम्पूर्ण रोमी साम्राज्य पर प्रभाव डाला जिससे कि जनगणना ठीक उसी समय पर हो सके तथा उस महत्वहीन कुँवारी को बैतलहम लाया जाए जहाँ वह एक बालक को जन्म दे और नबूवत पूरी हो सके। मत्ती दिखाता है कि परमेश्वर मुट्ठी भर विदेशियों को बैतलहम लाने के लिए आकाश में तारों को प्रभावित कर रहा है जिससे कि वे उसके पुत्र की आराधना कर सकें।

यह परमेश्वर के कार्य करने की रीति है। उसने तब ऐसा किया था। वह अब भी ऐसा ही कर रहा है। उसका उद्देश्य यह है कि विभिन्न राष्ट्र—समस्त राष्ट्र (मत्ती 24:14)—उसके पुत्र की आराधना करें।

उन सब लोगों के लिए परमेश्वर की यही इच्छा है जो आपके कार्यालय में कार्यरत हैं, और आपकी कक्षा में हैं, और आपके पड़ोस में हैं, और आपके घर में हैं। जैसा कि यूहन्ना 4:23 कहता है, “पिता अपने लिए ऐसे ही आराधक चाहता है।”

हमारे पास मत्ती के आरम्भ में अभी भी एक “आओ और देखो” की पद्धति है। परन्तु अन्त में यह पद्धति “जाओ और बताओ” की हो जाती है। उस समय मजूसी आए और उन्होंने देखा। अब हमें जाना है और बताना है।

परन्तु जो बात भिन्न नहीं है वह है राष्ट्रों के एकत्रीकरण में, परमेश्वर का उद्देश्य, तथा उसकी सामर्थ्य, जिससे कि वे उसके पुत्र की आराधना कर सकें। यह संसार इस कारण से अस्तित्व में है कि सभी राष्ट्रों की अति-उमंगपूर्ण आराधना द्वारा ख्रीष्ट की महिमा हो। 

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