अन्तत: और पूर्णत: धर्मी ठहराए गए

पौलुस यहाँ कह सकता था कि, “परमेश्वर के चुने हुओं पर कौन दोष लगाएगा?” और फिर उत्तर दे सकता था कि, “कोई नहीं! हम धर्मी ठहराए गए हैं”। यह बात सत्य है। परन्तु उसने ऐसा नहीं कहा। इसके विपरीत उसका उत्तर यह था, “परमेश्वर ही है जो धर्मी ठहराता है।”

यहाँ पर जो बल डाला जा रहा है, वह कार्य पर नहीं परन्तु कर्ता पर है।

क्यों? क्योंकि कचहरियों (न्यायालयों) और विधियों के संसार में जहाँ से यह भाषा ली गई है, एक न्यायाधीश द्वारा दोषमुक्ति का निर्णय दिए जाने के पश्चात् भी, उससे उच्च अधिकारी के द्वारा उस निर्णय को पलटा जा सकता है। 

जब तक किसी राज्यपाल के पास आपके विरुद्ध आरोप लगाने का अधिकार है, तो इससे कोई प्रभाव नहीं पड़ता है कि आपके दोषी होने के पश्चात् भी कोई स्थानीय न्यायाधीश आपको दोषमुक्त घोषित कर देता है। और यदि आपके दोषी होने के पश्चात् भी कोई राज्यपाल आपको दोषमुक्त कर देता है, तो इससे भी तब तक कोई प्रभाव नहीं पड़ता है जब तक कि एक सम्राट आपके विरुद्ध आरोप लगा सकता है?

तो यहाँ पर मुख्य बात यह है कि: परमेश्वर से बढ़कर, कोई उच्चतम न्यायालय नहीं है। यदि परमेश्वर ही है जो आपको दोषमुक्त ठहराता है — अर्थात् अपनी दृष्टि में आपको धर्मी घोषित करता है — तो कोई भी इस निर्णय के प्रति अब प्रश्न नहीं उठा सकता है; कोई भी इस निर्णय में किसी सूक्ष्म दोष होने का दृढ़ कथन नहीं कर सकता है; कोई भी इसे त्रृटिपूर्ण मुकदमें के रूप में नहीं कह सकता; कोई भी आपके विरुद्ध अन्य अपराधों के लिए दोष नहीं लगा सकता है। परमेश्वर का न्याय अन्तिम और पूर्ण है।

इस पर ध्यान दीजिए, आप सब जो यीशु पर विश्वास करते हैं, तथा ख्रीष्ट के साथ आपका मिलन हो गया है, और स्वयं को चुने हुओं के मध्य उपस्थित रखते हैं: परमेश्वर ही है जो आपको धर्मी ठहराता है। कोई मानवीय न्यायाधीश नहीं। कोई महान भविष्यद्वक्ता नहीं। स्वर्ग से कोई प्रधान स्वर्गदूत नहीं। परन्तु परमेश्वर, जो संसार का सृष्टिकर्ता और सब वस्तुओं का स्वामी है और सृष्टि और उसमें निहित हर एक कण और व्यक्तियों का शासक है, परमेश्वर ही है जो आपको धर्मी ठहराता है।

तो यहाँ पर मुख्य बात यह है: भयंकर कष्टों के मध्य में अडिग सुरक्षा। यदि परमेश्वर हमारे पक्ष में है, तो कोई भी सफलतापूर्वक हमारे विरुद्ध में नहीं हो सकता है। यदि परमेश्वर ने हमारे लिए अपने पुत्र को दे दिया है, तो वह हमें, वह सब कुछ देगा जो हमारे लिए भला है। यदि परमेश्वर ही है जो हमें धर्मी ठहराता है, तो हमारे विरुद्ध कोई दोष टिक नहीं सकता है।

साझा करें
जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

Articles: 352