हम तो क्रूस पर चढ़ाए गए ख्रीष्ट का प्रचार करते हैं, जो यहूदियों की दृष्टि में ठोकर का कारण और अयहूदियों के लिए मूर्खता है, परन्तु उनके लिए जो बुलाए हुए हैं, चाहे वे यहूदी हों या यूनानी, ख्रीष्ट परमेश्वर का सामर्थ्य और परमेश्वर का ज्ञान है। (1 कुरिन्थियों 1:23)
हम सुसमाचार के अद्भुत सन्देश को इस भयावह समाचार के सन्दर्भ में देखते हैं कि हम अपने सृष्टिकर्ता के द्वारा दोषी ठहराए गए हैं, और वह हमारे पाप पर अपने अनन्त क्रोध को उण्डेलकर अपनी महिमा के मूल्य को बनाए रखने के लिए अपने स्वयं के धर्मी चरित्र से बँधा हुआ है।
यही एक ऐसा सत्य है जिसे कोई भी प्रकृति को देखकर कभी नहीं सीख सकता है। सुसमाचार के सत्य को पड़ोसियों को सुनाया जाना चाहिए, कलीसियाओं में प्रचार किया जाना चाहिए और सुसमाचार प्रचार-प्रसार कर्ताओं द्वारा पहुँचाया जाना चाहिए।
शुभ सन्देश यह है कि परमेश्वर ने स्वयं ही एक ऐसे मार्ग की उद्घोषणा की है जिसमें सम्पूर्ण मानव जाति को बिना दोषी ठहराए, उसके न्याय की माँग को पूरा किया जाता है।
नरक तो पापियों का लेखा-जोखा चुकाने और न्याय को बनाए रखने का एक उपाय है। किन्तु एक और उपाय है। परमेश्वर ने एक दूसरा उपाय उपलब्ध कराया है। यह उपाय तो सुसमाचार है।
परमेश्वर की बुद्धि ने परमेश्वर के प्रेम के लिए एक मार्ग ठहराया है जिससे परमेश्वर के न्याय से समझौता भी न हो और हम परमेश्वर के क्रोध से छुड़ा लिए जाएँ। बस यही तो सुसमाचार है। मैं एक बार फिर से धीरे-धीरे कहूँगा: परमेश्वर की बुद्धि ने परमेश्वर के प्रेम के लिए एक उपाय ठहराया है जिससे परमेश्वर के न्याय से समझौता भी न हो और हम परमेश्वर के क्रोध से छुड़ा लिए जाएँ।
और यह बुद्धि क्या है? पापियों के लिए परमेश्वर के पुत्र की मृत्यु! “हम तो क्रूस पर चढ़ाए गए ख्रीष्ट का प्रचार करते हैं… जो… परमेश्वर का सामर्थ्य और परमेश्वर की बुद्धि है। (1 कुरिन्थियों 1:23-24)
ख्रीष्ट की मृत्यु ही परमेश्वर की बुद्धि है जिसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम परमेश्वर के प्रकोप से लोगों को बचाता है, और इसके साथ-साथ ख्रीष्ट में परमेश्वर की धार्मिकता को बनाई रखती है और उसे प्रकट करती है।