निकृष्ट पापियों के लिए भी आशा
जॉन पाइपर द्वारा भक्तिमय अध्ययन

जॉन पाइपर द्वारा भक्तिमय अध्ययन

संस्थापक और शिक्षक, desiringGod.org

“और मैं जिस पर अनुग्रह करना चाहूँ उस पर अनुग्रह करूँगा, और जिस पर दया करना चाहूँ, उस पर दया करूँगा।” (निर्गमन 33:19)

मूसा को इस आशा की आवश्यकता थी कि परमेश्वर सच में उन हठीले लोगों पर भी दया दिखा सकता है जिन्होंने कुछ ही समय पहिले मूर्तिपूजा की है और उस परमेश्वर को अपमानित किया है जो उन्हें मिस्र से निकालकर लाया है।

मूसा को यह आशा और भरोसा देने के लिए जिसकी उसे आवश्यकता थी, परमेश्वर ने कहा, “मैं जिस पर अनुग्रह करना चाहूँ उस पर अनुग्रह करूँगा।” दूसरे शब्दों में, “मेरा चुनाव किसी व्यक्ति की दुष्टता या भलाई पर निर्भर नहीं करता है परन्तु यह तो केवल मेरी पूर्ण स्वतन्त्र तथा सम्प्रभु इच्छा पर निर्भर है। इसलिए कोई यह नहीं कह सकता है कि वह तो इतना दुष्ट है कि उस पर अनुग्रह नहीं किया जा सकता है।” यदि ऐसा नहीं है तो इसका अर्थ होता कि परमेश्वर स्वतन्त्र नहीं है, एवं चुनाव अप्रतिबन्धित नहीं है।

अप्रतिबन्धित चुनाव का सिद्धान्त निकृष्ट पापियों के लिए आशा का महान् सिद्धान्त है। इसका अर्थ यह है कि जब आप पर अनुग्रह दिखाने की बात आती है तो आपकी पृष्ठभूमि परमेश्वर के चुनाव को प्रभावित नहीं करती है। यही तो शुभ सन्देश है।

यदि आपका नया जन्म नहीं हुआ है और आपने उद्धार के लिए यीशु ख्रीष्ट पर विश्वास नहीं किया है तो निराशा में यह सोचते हुए मत डूब जाइए कि आपका कठोर या अत्याधिक सड़ाहट वाला अतीत का जीवन परमेश्वर के अनुग्रहमयी कार्य के लिए एक ऐसी बाधा है जिसे पार नहीं किया जा सकता। परमेश्वर को अच्छा लगता है कि वह निकृष्ट पापियों का उद्धार करने में अपने अनुग्रह की स्वतन्त्रता को बढ़ाए।

अपने पाप से फिरें; परमेश्वर को पुकारें। यहाँ तक कि इस भक्तिमय अध्ययन में भी, जिसे आप अभी पढ़ या सुन रहे हैं, परमेश्वर आप पर अनुग्रह दिखा रहा है, और आपको अत्यधिक उत्साहित कर रहा है कि आप उसके पास दया के लिए आएँ।

“यहोवा कहता है, ‘आओ, हम आपस में वाद-विवाद करें, तुम्हारे पाप चाहे लाल रंग के हों, फिर भी वे हिम के समान श्वेत हो जाएँगे; चाहे वे किरमिजी लाल ही क्यों न हों, वे ऊन के समान उजले हो जाएँगे’” (यशायाह 1:18)।

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