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हमारी शान्ति कहाँ से आती है

तब [पिलातुस ने] फिर राजभवन के भीतर जाकर यीशु से कहा, “तू कहाँ का है?” परन्तु यीशु ने उसे कोई उत्तर न दिया। तब पिलातुस ने उस से कहा, “क्या तू मुझ से नहीं बोलेगा? क्या तू नहीं जानता कि तुझे छोड़ देने और क्रूस पर चढ़ाने का भी मुझे अधिकार है?” यीशु ने उत्तर दिया, “यदि तुझे ऊपर से न दिया जाता तो तेरा मुझ पर कोई अधिकार न होता।” (यूहन्ना 19:9-11)

यीशु को क्रूस पर चढ़ाने के लिए पिलातुस के अधिकार ने यीशु को भयभीत नहीं किया। क्यों नहीं?

इसलिए नहीं क्योंकि पिलातुस झूठ बोल रहा था। इसलिए नहीं क्योंकि पिलातुस के पास यीशु को क्रूस पर चढ़ाने का अधिकार नहीं था। वह तो उसके पास था।

इसके विपरीत, इस अधिकार ने यीशु को इसलिए भयभीत नहीं किया क्योंकि यह  पिलातुस को प्रदान किया गया अधिकार था। यीशु ने कहा, “यह तुम्हें ऊपर से दिया गया है।” जिसका अर्थ है यह वास्तव में अधिकारपूर्ण है। कम नहीं। परन्तु अधिक।

किन्तु, यह कैसे भयभीत करने वाला नहीं है? पिलातुस के पास केवल यीशु को मारने का ही अधिकार नहीं है। परन्तु उसके पास उसे मारने के लिए परमेश्वर द्वारा प्रदान किया गया अधिकार है। 

इसने यीशु को इसलिए भयभीत नहीं किया क्योंकि यीशु पर पिलातुस का अधिकार तो पिलातुस पर परमेश्वर के अधिकार के अधीन है। यीशु को इस क्षण शान्ति इसलिए नहीं मिलती है क्योंकि पिलातुस की इच्छा सामर्थ्यहीन है, परन्तु इसलिए क्योंकि पिलातुस की इच्छा निर्देशित है। इसलिए नहीं क्योंकि यीशु पिलातुस के भय के हाथों के तले नहीं है, परन्तु इसलिए क्योंकि पिलातुस यीशु के पिता के हाथों तले है।

जिसका अर्थ है कि हमारी शान्ति हमारे शत्रुओं की सामर्थ्यहीनता से नहीं आती है, परन्तु उनकी सामर्थ्य पर हमारे पिता के सम्प्रभु शासन से आती है।

यही बात रोमियों 8:35-37 का बिन्दु है: क्लेश और संकट और सताव और अकाल और नंगाई और जोखिम और तलवार हमें ख्रीष्ट से अलग नहीं कर सकते क्योंकि “इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिसने हम से प्रेम किया जयवन्त से भी बढ़कर हैं।”

पिलातुस ने (और यीशु के सारे विरोधियों — और हमारे भी विरोधियों ने) बुराई करने की ठानी थी। परन्तु परमेश्वर ने उसी को भलाई के लिए ले लिया (उत्पत्ति 50:20)। यीशु के सारे शत्रु अपने परमेश्वर द्वारा प्रदान किए गए अधिकार के साथ एकत्रित हुए “कि वही करें जो कुछ [परमेश्वर की] सामर्थ्य और [परमेश्वर की] योजना में पहिले से निर्धारित किया गया था” (प्रेरितों के काम 4:28)। उन्होंने पाप किया। परन्तु उनके पाप करने के द्वारा परमेश्वर ने उद्धार किया।

इसलिए, अपने उन विरोधियों से भयभीत न हों जो मात्र शरीर को घात कर सकते हैं (मत्ती 10:28)। इसलिए नहीं कि वे मात्र इतना ही कर सकते हैं (लूका 12:4), परन्तु इसलिए भी क्योंकि यह कार्य आपके पिता के सतर्क हाथ के अधीन किया जाता है।

“क्या दो पैसे में पाँच गौरेय्या नहीं बिकतीं? फिर भी परमेश्वर उनमें से किसी एक को भी नहीं भूलता। वास्तव में तुम्हारे सिर के सारे बाल भी गिने हुए हैं। मत डरो। तुम बहुत सी गौरेय्यों से भी बढ़कर मूल्यवान हो।” (लूका 12:6-7)

पिलातुस के पास अधिकार है। हेरोदेस के पास अधिकार है। सैनिकों के पास अधिकार है। शैतान के पास अधिकार है। परन्तु इनमें से कोई भी स्वतन्त्र नहीं है। उनका सारा अधिकार उनको दिया गया है। यह सब परमेश्वर की इच्छा के अधीन है। मत डरिए। आप अपने सम्प्रभु पिता के लिए मूल्यवान हैं। आप न भूले हुए पक्षियों से कहीं अधिक मूल्यवान हैं।

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जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

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