क्या परमेश्वर का प्रेम अप्रतिबन्धित है?

परमेश्वर में अप्रतिबन्धित (बिना किसी मांग का) प्रेम उपस्थित है, परन्तु इसका अर्थ वह नहीं है जो अधिकांश लोग सोचते हैं। 

  • यह बचाने वाला प्रेम नहीं है जो वह सबके लिए रखता है। अन्यथा सब लोग बचाए जाएंगे, क्योंकि उन्हें किसी भी मांगों को पूरा नहीं करना होगा, यहाँ तक कि विश्वास भी नहीं। परन्तु यीशु ने कहा कि सब लोग बचाए नहीं गए हैं (मत्ती 25:46)।
  • यह वह प्रेम नहीं है जो पापियों को धर्मी ठहराता है क्योंकि बाइबल कहती है कि हम विश्वास के द्वारा धर्मी ठहराए जाते हैं, और विश्वास भी एक मांग है (रोमियों 5:1)।
  • यह वह प्रेम नहीं है जो सब बातों के द्वारा भलाई को उत्पन्न करता है क्योंकि पौलुस कहता है कि यह केवल उनके साथ होता है “जो परमेश्वर से प्रेम रखते हैं” (रोमियों 8:28)।
  • यह परमेश्वर पिता के साथ सबसे घनिष्ठ संगति रखने वाला प्रेम नहीं है क्योंकि यीशु ने कहा, “जो मुझसे प्रेम करता है उससे मेरा पिता प्रेम करेगा” (यूहन्ना 14:21)। और याकूब ने कहा, “परमेश्वर के निकट आओ तो वह भी तुम्हारे निकट आएगा” (याकूब 4:8)।
  • यह वह प्रेम नहीं है जो हमारे मरने के बाद हमें स्वर्ग में प्रवेश कराएगा क्योंकि यूहन्ना कहता है, “प्राण देने तक विश्वासी रह‒तब मैं तुझे जीवन का मुकुट प्रदान करूंगा” (प्रकाशितवाक्य 2:10)। और विश्वासयोग्यता भी एक मांग है।

तो परमेश्वर अप्रतिबन्धित (बिना किसी मांग के) प्रेम करता  कैसे है? (कम से कम) दो प्रकार से:

1.  वह हमें चुनने वाले प्रेम से अप्रतिबन्धित रूप से प्रेम करता है  “उसने हमें जगत की उत्पत्ति से पूर्व मसीह में चुन लिया. . .यीशु मसीह के द्वारा लेपालक पुत्र होने के लिए (इफिसियों 1:4-5)।

वह हमारे विश्वास को पहले से ही देखकर इसे चुनाव का आधार नहीं बनाता है। इसके विपरीत, हमारा विश्वास चुने जाने और भरोसा करने के लिए नियुक्त किए जाने का प्रमाण है, जैसा कि प्रेरितों के काम 13:48 कहता है, “जितने अनन्त जीवन के लिए ठहराए गए थे, उन्होंने विश्वास किया।” 

2.  इससे पहले की हम किसी भी मांगों को पूरा करें वह हमसे पुनरुज्जीवित करने वाले प्रेम से प्रेम करता है। नया जन्म हमारे द्वारा विश्वास की मांग को पूरा कर लेने के बाद परमेश्वर का प्रतिउत्तर नहीं है। इसके विपरीत नया जन्म हमें विश्वास करने के लिए सक्षम करता है।

“ जो कोई विश्वास करता है कि यीशु ही मसीह है, वह परमेश्वर से [पहले ही] उत्पन्न हुआ है ” (1 यूहन्ना 5:1)। “(हम) न तो लहू से, न शरीर की इच्छा से, और न मनुष्य की इच्छा से, परन्तु परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं” (यूहन्ना 1:13)।

आइए हम प्रार्थना करें कि अनेकों लोग जो परमेश्वर के अप्रतिबन्धित प्रेम की बात करते हैं वे उसके बाइबलीय अर्थ को समझ सकें। यदि ऐसा हुआ तो अनेक लोग यह पाएंगे कि उनके पांव दृढ़ भूमि पर हैं। 

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जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

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