यीशु का क्रूसीकरण पुराने नियम की बातों का पूर्तिकरण है।

प्रायः कुछ लोग क्रूसीकरण के दिन को एक विलाप के दिन के रूप में देखते हैं। इस अवसर पर विभिन्न समाचार पत्रों में यह लिखा जाता है कि यीशु ख्रीष्ट केवल एक महान पुरुष थे, जो अपने जीवन और मृत्यु के द्वारा हमें एक निःस्वार्थ जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। ऐसे लोग यीशु के क्रूसीकरण की सच्चाई से कोसों दूर हैं। यीशु का क्रूसीकरण एक काल्पनिक घटना, सामान्य घटना, दुर्घटना, अचानक या दुःखद घटना नहीं है। यह एक ऐतिहासिक घटना है, जो पुराने नियम में लिखी गई बातों का पूर्तिकरण है और इसी बात को हम इस लेख में देखेंगे। 

क्रूसीकरण के सन्दर्भ में परमेश्वर की योजना का पूर्तिकरण

पवित्रशास्त्र में हम यह देखते हैं कि आदम और हवा की अनाज्ञाकारिता के कारण संसार में पाप ने प्रवेश किया और जो मृत्यु को लेकर आया। क्योंकि परमेश्वर प्रेमी, न्यायी है और धर्मी है उसने उद्धार की योजना को उत्पति 3:15 में प्रकट करते हुए यह भविष्यवाणी किया कि, “मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में, और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्पन्न करुँगा, वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा।” गलातियों 4:4 के अनुसार, यीशु स्त्री का बीज है जिसके बारे में उत्पत्ति 3:15 में लिखा गया है।  

यीशु धर्म गुरुओं से, अधिकारियों से हार नहीं गया परन्तु उसने अपनी मृत्यु के द्वारा उस भविष्यवाणी को पूरा किया जिसे परमेश्वर ने अदन की वाटिका में किया था।

हमें यह समझना होगा कि यीशु धर्म गुरुओं से, अधिकारियों से हार नहीं गया परन्तु उसने अपनी मृत्यु के द्वारा उस भविष्यवाणी को पूरा किया जिसे परमेश्वर ने अदन की वाटिका में किया था। स्त्री के बीज (यीशु) की एड़ी का डसा जाना यीशु के क्रूसीकरण में पूरा हुआ।  जिसे हम 2 कुरिन्थियों 5:21 में पढ़ते हैं। क्रूसीकरण में हम यह देखते हैं की हमारे अपराधों के लिए किस प्रकार यीशु ने शारीरिक पीड़ा, दुःख, कष्ट, क्लेश को सहा और अन्ततः मृत्यु का सामना किया। 

क्रूसीकरण के सन्दर्भ में वास्तविक फसह का पूर्तिकरण 

इस्राएल का मिस्र के दासत्व से छुटकारा पाना एक बहुत बड़ी ऐतिहासिक घटना थी। उन्हें दासत्व से छुटकारा देने के लिए परमेश्वर ने मूसा को उनका अगुवा नियुक्त किया। मूसा के नौ चिन्ह दिखाने के बाद भी फिरौन उन्हें स्वतन्त्र नहीं कर रहा था। परमेश्वर ने दसवें चिन्ह के रूप में एक महामारी को भेजा और कहा “मैं  मिस्र देश के बीच में से हो कर जाऊँगा, और मिस्र देश के क्या मनुष्य क्या पशु, सब के पहलौठों को मारूँगा (निर्गमन 12:12)। परन्तु परमेश्वर ने इस्रालियों के लिए यह आज्ञा दी कि वे एक निर्दोष मेम्नें को बलि चढ़ाएँ और तब वे उसके लहू में से कुछ ले कर घरों पर द्वार के दोनों अलंगों और चौखट के सिरे पर लगाएँ। वह लहू उनके निमित्त चिन्ह ठहरा; अर्थात उस लहू को देखकर परमेश्वर ने उनके पहलौठों को नहीं मारा और उनके ऊपर विपत्ति नहीं आयी। इसे परमेश्वर ने फसह का पर्व ठहराया और आज्ञा देते हुए कहा कि “तुम उसको यहोवा के लिए पर्व करके मानना; वह दिन तुम्हारी पीढ़ियों में सदा की विधि जानकर पर्व माना जाए”। यह घटना और पर्व यीशु की ओर संकेत कर रहा था क्योंकि यीशु ही वह निर्दोष मेम्ना बना जिसके लहू के बहाए जाने के द्वारा हमें पापों के दासत्व से छुटकारा मिल सका (1पतरस 1:18-19)। इस तरह से यीशु ख्रीष्ट का क्रूसीकरण फसह के पर्व का पूर्तिकरण है।

यीशु ख्रीष्ट का क्रूसीकरण फसह के पर्व का पूर्तिकरण है।

क्रूसीकरण के सन्दर्भ में भविष्यवक्ताओं की भविष्यवाणियों का पूर्तिकरण

पुराने नियम में भविष्यवक्ताओं ने यीशु के क्रूसीकरण की भविष्यवाणी की थी। हम विशेष रूप से यशायाह और दाऊद के द्वारा की गयी भविष्यवाणियों में यीशु के क्रूसीकरण के बारे में देख सकते हैं। यशायाह 53:7 में लिखा है की “वह सताया गया और उसे दुःख दिया गया, फिर भी उसने अपना मुंह न खोला; जैसे मेमना वध होने के समय तथा भेड़ अपने ऊन कतरनेवाले के समय शान्त रहती है, वैसे ही उसने भी अपना मुंह न खोला”। मत्ती 27:12-14 में हम देखते हैं कि जब महायाजक उस पर दोष लगा रहे थे तब भी यीशु ने पिलातुस  के सामने अपने विद्रोहिओं को उत्तर नहीं दिया। यशायाह 53:12 में लिखा है की वह अपराधियों के संग गिना गया और मत्ती 27:38 में हम देखते हैं की उसके साथ दो डाकू एक दाहिने और एक बाएं क्रूसों पर चढ़ाए गए। उसी तरह भजन संहिता 22 में दाऊद ने यह मसीहा के बारे में भविष्यवाणी करते हुए भजन को लिखा और 1-2 पद में कहता है  “हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया”? मत्ती 27:46 में जब यीशु ने तीसरे पहर के निकट बड़े शब्द से पुकारकर कहा, एली, एली, लमा शबक्तनी अर्थात हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया? वह यह दर्शा रहा था की भजन संहिता 22 में मसीहा के बारे में लिखी गयी भविष्यवाणी उसके क्रूसीकरण के द्वारा पूर्ण हो गई। भजन संहिता 22:18 में दाऊद ने मसीहा के मृत्यु के बारे में भविष्यवाणी करते हुए कहा “वे मेरे वस्त्र आपस में बांटते हैं, और मेरे पहिरावे पर चिट्ठी डालते हैं”।  मत्ती 27:35 में हम पढ़ते हैं की यीशु ख्रीष्ट के क्रूसीकरण के समय यह पूरा होता है। इस तरह से यह सब घटनाएँ यीशु के क्रूसीकरण पूर्तिकरण का है।

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मोनीष मित्रा
मोनीष मित्रा

परमेश्वर के वचन का अध्ययन करते हैं और मार्ग सत्य जीवन के साथ सेवा करते हैं।

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