Profit Gain AI Profit Method AI Crypto Core Profit

पौलुस का उद्धार आपके लिए था।

यद्यपि मैं पहिले निन्दा करने वाला, सताने वाला तथा घोर अन्धेर करने वाला व्यक्ति था, फिर भी मुझ पर दया की गई क्योंकि मैंने यह सब अविश्वास की दशा में नासमझी से किया था। और हमारे प्रभु का अनुग्रह बहुतायत से हुआ, और साथ ही वह विश्वास और प्रेम भी जो ख्रीष्ट यीशु में है। . . . फिर भी मुझ पर इस कारण दया हुई कि ख्रीष्ट यीशु मुझ सब से बड़े पापी में अपनी पूर्ण सहनशीलता प्रदर्शित करे कि मैं उनके लिए जो उस पर अनन्त जीवन के निमित्त विश्वास करेंगे, आदर्श बनूँ। (1 तीमुथियुस 1:13-14, 16)

पौलुस का हृदय-परिवर्तन आपके लिए था। क्या आपने यह बात सुनी? फिर से सुनें: “मुझ पर इस कारण दया हुई कि ख्रीष्ट यीशु मुझ सब से बड़े पापी में अपनी पूर्ण सहनशीलता प्रदर्शित करे कि मैं उनके लिए जो उस पर अनन्त जीवन के निमित्त विश्वास करेंगे, आदर्श बनूँ।” ये लोग हम हैं — आप और मैं। 

मेरी आशा है कि आप इसे बहुत ही व्यक्तिगत रीति से सुनेंगे। जब परमेश्वर ने पौलुस को चुना और जब उसने उस रीति से अपने सम्प्रभु अनुग्रह के द्वारा उसका उद्धार किया, तो परमेश्वर की दृष्टि आप पर थी।

यदि आप अनन्त जीवन के लिए यीशु पर विश्वास करते हैं — या फिर आप अनन्त जीवन के लिए सम्भवतः बाद में भी विश्वास करेंगे — पौलुस का हृदय-परिवर्तन आपके  लिए था। उसका हृदय-परिवर्तन जिस रीति से हुआ, उसका उद्देश्य यह था कि ख्रीष्ट की अद्भुत सहनशीलता को आप पर स्पष्टता से प्रकट किया जाए।

यह स्मरण रखें कि पौलुस के हृदय-परिवर्तन से पहले का जीवन यीशु के लिए एक बहुत ही लम्बे समय तक चलने वाला क्लेश था। यीशु ने दमिश्क के मार्ग पर पूछा, “तू मुझे क्यों सताता है?” (प्रेरितों के काम 9:4)। “तुम्हारा अविश्वास और विद्रोह का जीवन मेरे लिए सतावनी है!” और फिर भी गलातियों 1:15 में पौलुस हमें बताता है कि वह प्रेरित होने के लिए अपने जन्म से पहले से ही परमेश्वर द्वारा ठहराया जा चुका था। यह तो अद्भुत बात है। इसका अर्थ है कि जब तक उसका हृदय-परिवर्तन नहीं हुआ था, तब तक का उसका सम्पूर्ण लम्बा जीवन परमेश्वर की निन्दा का जीवन था, और लम्बे समय तक यीशु का तिरस्कार और उपहास का जीवन था — जिसने, उसे, उसके जन्म से पहले ही, प्रेरित होने के लिए चुन लिया था।

यही कारण है कि पौलुस कहता है कि उसका हृदय-परिवर्तन यीशु की सहनशाीलता का एक अद्भुत प्रदर्शन है। और यही बात वह आज हमें, हमारे सामने प्रस्तुत करता है।

यह हमारे लिए ही था कि यीशु ने उस समय और उस रीति से पौलुस को बचाया। “अपनी पूर्ण सहनशीलता प्रदर्शित” करने के लिए (1 तीमुथियुस 1:16) ऐसा न हो कि हम निरुत्साहित हों। ऐसा न हो कि हम सोचें कि वह वास्तव में हमें नहीं बचा सकता है। ऐसा न हो कि हम सोचें कि वह क्रोध करने के लिए इच्छुक है। ऐसा न हो कि हम सोचें कि हम अत्यधिक दूर चले गए हैं। ऐसा न हो कि हम सोचें कि हमारे प्रिय जन का हृदय-परिवर्तन नहीं हो सकता है — अचानक से, अप्रत्याशित रीति से, यीशु के सम्प्रभु, उमड़ने वाले अनुग्रह के द्वारा।

साझा करें
जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

Articles: 377
Album Cover
: / :

Special Offer!

ESV Concise Study Bible

Get the ESV Concise Study Bible for a contribution of only 500 rupees!

Get your Bible