सताव पवित्रीकरण हेतु सहायक है।

हमारे जीवन में सताव सिर्फ हमें दुःखी करने या पीड़ा में से होकर जाने देने के लिए नहीं है। सताव हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। क्या आपको पता है परमेश्वर हमारे जीवन में सताव का उपयोग करता है जिससे कि हम व्यक्तिगत पवित्रता में बढ़ सकें? सताव तो हमारे ख्रीष्टीय जीवन का भाग हैं जो हमें ख्रीष्ट के स्वरूप में बनने में सहायता करते हैं। इस लेख में उन तीन बातों को देखेंगे जो त्रिएक परमेश्वर हम विश्वासियों को सताव के मध्य में सिखाता है:  

1. सताव हमें स्वयं की धार्मिकता से बचाता है:

“…तुम ख्रीष्ट में हो, जो हमारे लिए परमेश्वर की ओर से ज्ञान, धार्मिकता, पवित्रता और छुटकारा ठहरा” (1 कुरिन्थियों 1:30)।

हमें प्रायः कई बार स्वयं की धार्मिकता पर गर्व होता है और हम भूल जाते हैं कि वास्तव में ख्रीष्ट हमारी धार्मिकता है। यहाँ तक कि हम सताव के मध्य में भी स्वयं से कहते हैं कि हम आत्मिक रीति से सही हैं। हम इस बात को ग्रहण करने से लजाते हैं कि हम पापी हैं। परन्तु सताव के मध्य में कई बार हमारे पाप प्रत्यक्ष रीति से प्रकट होते हैं। सताव के मध्य में हम झुंझुलाते हैं, चिड़चिड़ाते हैं, क्रोधित होते हैं, सन्देह करते हैं, धीरज नहीं रख पाते हैं। हम सताव के कारण ऐसा नहीं करते हैं। परन्तु हम भीतर से ऐसे ही हैं, इसलिए हम ऐसा प्रतिउत्तर करते हैं। सताव दिखाता है कि हम सिद्ध नहीं हैं और हमें प्रतिदिन यीशु ख्रीष्ट की धार्मिकता की आवश्यकता है।    

2. सताव हमें ख्रीष्ट पर निर्भर होना सिखाता है:

“क्योंकि हमारा ऐसा महायाजक नहीं जो हमारी निर्बलताओं में हमसे सहानुभूति न रख सके। वह तो सब बातों में हमारे ही समान परखा गया” (इब्रानियों 4:15)।

हमारे सताव प्रत्यक्ष रीति से इस बात को प्रकट करते हैं कि हम अपने जीवन और आस-पास की परिस्थितियों पर कितना कम नियन्त्रण करते हैं। क्योंकि हम स्वयं को उस परिस्थिति से निकालने में सामर्थी नहीं है, इसलिए हमें यीशु ख्रीष्ट की आवश्यकता है। वह हमारा सहायक है। वह स्वयं सताव से होकर गया है, इसलिए हमसे सच्ची सहानुभूति रख सकता है। 

हम वास्तविकता में आत्मनिर्भर होने के लिए बनाए ही नहीं गए हैं। सताव इसी बात को दिखाते हैं कि हम दुर्बल हैं। इसलिए हमें परमेश्वर की और उसके लोगों की आवश्यकता है। यीशु ख्रीष्ट हमारा सहायक है और साथ ही साथ परमेश्वर ने हमें सहायता के लिए कलीसिया भी दी है। प्रेरितों के काम 12 में भी जब पतरस बन्दीगृह में था तो कलीसिया उसके लिए प्रार्थना कर रही थी (12:12)। परमेश्वर का धन्यवाद हो यीशु ख्रीष्ट के लिए और कलीसिया के लिए।  

3. सताव हमें स्थाई सुख की ओर दृष्टि करने के लिए प्रेरित करता है:

“क्योंकि हम जानते हैं कि यदि हमारा पृथ्वी पर का तम्बू सदृश घर गिरा दिया जाए तो परमेश्वर से हमें स्वर्ग में ऐसा भवन मिलेगा जो हाथों से बना हुआ नहीं, परन्तु चिरस्थायी है” (2 कुरिन्थियों 5:1)। 

हम सब जानते हैं कि परमेश्वर ने इस संसार में हमारे लिए कोई स्थाई स्थान नहीं रखा है। और सताव इस बात को और अधिक स्पष्ट कर देता है। यदि हम यह सोच कर यहाँ जीवन जिएँगे कि हम स्थाई रूप से यही के हैं तो फिर हम सारा विश्राम और आनन्द यहीं पर लेने का प्रयास करेंगे। परमेश्वर का वचन इब्रानियों 13:14 में कहता है कि, “क्योंकि यहाँ हमारा कोई स्थाई नगर नहीं है, परन्तु हम उस नगर की खोज में हैं जो आने वाला है।” इसलिए जो भी सताव का सामना हम कर रहे हैं। वह हमारे हृदयों को उस नगर के लिए तैयार कर रहा है जो चिरस्थायी है। तो सताव हम विश्वासियों को 40-50 साल के बाद स्थाई सुख की ओर देखने की लालसा में बढ़ने में सहायता करता है। 

अतः परमेश्वर हमारी सहायता करे कि हम सताव के दर्पण में स्वयं को देखते हुए ख्रीष्ट के समान सिद्ध और पवित्र बनते चले जाएँ।  

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आइज़क सौरभ सिंह
आइज़क सौरभ सिंह

सत्य वचन कलीसिया में वचन की शिक्षा देने और प्रचार करने की सेवा में सम्मिलित हैं।

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