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प्रार्थना हेतु योजना बनाएँ

“यदि तुम मुझ में बने रहो, और मेरे वचन तुम में बने रहें तो जो चाहो माँगो, और वह तुम्हारे लिए हो जाएगा। मेरे पिता की महिमा इसी से होती है कि तुम बहुत फल लाओ, तभी तो तुम मेरे चेले हो . . . ये बातें मैंने तुम से इसलिए कही हैं कि मेरा आनन्द तुम में बना रहे, और तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाए।” (यूहन्ना 15:7-8, 11)

प्रार्थना यीशु के साथ फलदायी सहभागिता में आनन्द की खोज करती है, इस बात को जानते हुए कि जब हम प्रार्थना के प्रतिउत्तर में फलदायी होते हैं तो परमेश्वर महिमान्वित होता है। परमेश्वर की सन्तानें क्यों प्रायः प्रसन्न तथा फलदायी प्रार्थना का नियमित अभ्यास करने में असफल हो जाती हैं?

यदि मैं त्रुटि नहीं कर रहा हूँ, तो इसका कारण यह नहीं है कि हम प्रार्थना करना नहीं चाहते हैं, परन्तु यह है कि हम इसकी योजना नहीं बनाते हैं।

यदि आप चार सप्ताहों की छुट्टी मनाने के लिए जाना चाहते हैं, तो आप ग्रीष्मकाल की एक सुबह उठकर यह नहीं कहेंगे, “आओ, हम आज चलते हैं!” आपके पास यात्रा के लिए कुछ भी तैयार नहीं होगा। आपको पता ही नहीं होगा कि कहाँ जाना है। किसी भी बात की योजना नहीं बनाई गई होगी। 

परन्तु हममें से बहुत से लोग प्रार्थना के साथ ऐसा ही व्यवहार करते हैं। हम हर दिन सुबह उठते हैं और इस बात को समझते हैं कि प्रार्थना का महत्वपूर्ण समय हमारे जीवन का भाग होना चाहिए, परन्तु कुछ भी तैयारी नहीं करते हैं।

हम नहीं जानते हैं कि हमें कहाँ जाना है। किसी भी बात की योजना नहीं बनी है। न तो समय निर्धारित है। न तो स्थान निर्धारित है। न तो कोई प्रक्रिया निर्धारित है। और हम सब जानते हैं कि योजना नहीं बनाने का अर्थ यह नहीं है कि हम स्वतः प्रार्थना में गहन, सहज अनुभवों का अद्भुत प्रवाह पाएँगे। योजना न बनाने का अर्थ है कि उन्हीं पुरानी बातों में ही फँसे रहना।

यदि आप छुट्टियों की योजना नहीं बनाते हैं, तो सम्भवतः आप घर पर होंगे और टी.वी देखेंगे। आत्मिक जीवन का    स्वाभाविक, अनियोजित प्रवाह जीवन के सबसे निचले भाग में डूब जाएगा। एक दौड़ दौड़नी है और एक लड़ाई लड़नी है। यदि आप अपने प्रार्थना के जीवन में नवीनीकरण चाहते हैं, तो आपको इसको देखने के लिए योजना  बनानी होगी।

इसलिए मेरा साधारण प्रोत्साहन यह है: आइए हम आज ही कुछ समय लेकर अपनी प्राथमिकताओं पर और उसमें प्रार्थना कैसे उपयुक्त बैठती है उस पर पुनः विचार करें। कुछ नए संकल्प लें। परमेश्वर के साथ कुछ नया करने का प्रयास करें। एक समय निर्धारित करें। एक स्थान निर्धारित करें। वचन का एक भाग चुनें जो आपका मागर्दर्शन करे।
अपने व्यस्त दिनों को अपने ऊपर अत्याचार न करने दें। हम सभी को मार्ग के मध्य में सुधार की आवश्यकता होती है। इस दिन को — परमेश्वर की महिमा और स्वयं के आनन्द की भरपूरी के लिए —  प्रार्थना की ओर मुड़ने का दिन बनाएँ।

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जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

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