प्रभु की प्रार्थना में, यीशु शिक्षा देता है कि प्रार्थना में पहली प्राथमिकता स्वर्गीय पिता से यह माँगना है कि उसका नाम पवित्र माना जाए। हम में। कलीसिया में। संसार में। हर स्थान पर।
ध्यान दीजिए कि यह एक याचना है, एक निवेदन है। यह एक घोषणा या जयजयकार नहीं है। यह आराधना की अभिव्यक्ति नहीं है, परन्तु याचना है। कई वर्षों तक मैंने प्रभु की प्रार्थना को इस रीति से पढ़ा मानो वह आराधना के साथ आरम्भ होती हो: “परमेश्वर की स्तुति हो, प्रभु का नाम पवित्र है, सम्मानित है, आदर के योग्य है!” परन्तु यह जयजयकार नहीं है। यह एक निवेदन है। यह परमेश्वर से विनती है कि वह सुनिश्चित करे कि उसका स्वयं का नाम पवित्र माना जाए।
यह एक अन्य खण्ड के समान है, मत्ती 9:38, जहाँ यीशु हम से फसल के स्वामी से विनती करने के लिए कहता है कि वह अपनी फसल को काटने हेतु मज़दूरों को भेज दे। यह मुझे कभी भी चकित करना बन्द नहीं करता है कि हम, अर्थात् हम मज़दूरों को निर्देश दिया जाता है कि खेत के उस स्वामी से विनती करें, जो कटनी के विषय में हमसे उत्तम रीति से जानता है कि खेत में कार्य करने के लिए और मज़दूरों को जोड़ा जाए।
परन्तु क्या यह वही बात नहीं है जिसे हम यहाँ पर प्रभु की प्रार्थना में देखते हैं — यीशु हमसे कह रहा है कि परमेश्वर से माँगो, जो स्वयं के नाम के सम्मान के लिए अत्यधिक जलन रखता है, कि वह यह सुनिश्चित करे कि उसका नाम पवित्र माना जाए, जिसका अर्थ है सम्मानित, प्रतिष्ठित, जिसको सर्वोच्च रीति से ऊँचा उठाया जाना चाहिए?
यह हमको अश्चर्यचकित कर सकता है, परन्तु यही सत्य है। और यह हमें दो बातें सिखाता है।
- पहली तो यह है कि प्रार्थना परमेश्वर को उन बातों को करने के लिए प्रेरित नहीं करती है जिनको करने में वह अनिच्छुक है। वह चाहता है कि उसका नाम पवित्र माना जाए। परमेश्वर की प्राथमिकता की सूची में उससे बढ़कर कुछ और नहीं है। परन्तु हमें फिर भी इसके लिए माँग करना चाहिए।
- दूसरी यह है कि प्रार्थना हमारी प्राथमिकताओं को परमेश्वर की प्राथमिकताओं के साथ मेल कराने का साधन है। जब हमारी प्रार्थनाएँ उसके महान उद्देश्यों की पूर्ति का परिणाम होती हैं तो परमेश्वर हमारी प्रार्थनाओं के परिणामस्वरूप महान कार्य करता है।
उसके नाम को पवित्र मानने के लिए अपने हृदय को परमेश्वर की जलन के अनुरूप लाइए और आप बड़े प्रभाव के साथ प्रार्थना करेंगे। होने दें कि आपकी प्रथम और सर्व-निर्धारित प्रार्थना परमेश्वर के नाम को पवित्र ठहराए, और आपकी प्रार्थनाएँ उसके नाम के लिए परमेश्वर की जलन की सामर्थ्य में समाहित होंगी।