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न्याय के समय की पुस्तकें

पृथ्वी के सब निवासी [पशु] की पूजा करेंगे, अर्थात् प्रत्येक व्यक्ति जिसका नाम उस मेमने के जीवन की पुस्तक में, जो जगत की उत्पत्ति के समय से घात किया गया है नहीं लिखा गया है। (प्रकाशितवाक्य 13:8)

जिनका नाम जीवन की पुस्तक में लिखा गया है उद्धार उन सब के लिए सुरक्षित है।

जीवन की पुस्तक में नाम लिखा जाना हमारे उद्धार को सुरक्षित इसलिए करता है क्योंकि इस पुस्तक को कहा जाता है, “मेमने  के जीवन की पुस्तक जो घात किया गया है।”  इस पुस्तक में लोगों के नाम उनके कार्यों के आधार पर नहीं लिखे जाते हैं। वे नाम तो ख्रीष्ट के घात किए जाने के आधार पर लिखे गए हैं।

परन्तु यूहन्ना प्रकाशितवाक्य 20:12 में कहता है, “तब मैंने छोटे बड़े सब मृतकों को सिंहासन के समक्ष खड़े हुए देखा, और पुस्तकें खोली गईं, तथा एक और पुस्तक खोली गई जो जीवन की पुस्तक है, और उन पुस्तकों में लिखी हुई बातों के आधार पर सब मृतकों का न्याय उनके कामों के अनुसार किया गया।” तो, “पुस्तकों” में निहित हमारे जीवन के अभिलेखों का हमारे न्याय में क्या लेना-देना होता है, यदि हम ख्रीष्ट के घात किये जाने के आधार पर बचाए जाते हैं?

इसका उत्तर यह है कि उन पुस्तकों में जो हमारे कार्यों को अभिलेखित करती हैं, उनमें हमारे ख्रीष्ट से सम्बन्धित होने के पर्याप्त प्रमाण उपस्थित हैं कि वे हमारे विश्वास और ख्रीष्ट के साथ हमारे मिलन की सार्वजनिक पुष्टि के रूप में कार्य करती हैं।

प्रकाशितवाक्य 21:27 पर ध्यान दें, “परन्तु कोई भी अपवित्र वस्तु या कोई घृणित कार्य अथवा झूठ पर आचरण करने वाला उसमें प्रवेश न करेगा, परन्तु केवल वे जिनके नाम मेमने के जीवन की पुस्तक में लिखे हैं।” यहाँ “जीवन की पुस्तक” में लिखे जाने का परिणाम केवल नाश न होना  ही नहीं है, परन्तु घृणित, पापपूर्ण कार्य न करते रहना  भी है। 

उदाहरण के लिए, क्रूस पर लटके डाकू के विषय में विचार करें। यीशु ने कहा कि वह स्वर्ग में प्रवेश करेगा (लूका 23:43)। परन्तु जब पुस्तकें खोली जाएँगी तो उसके लिए न्याय कैसा होगा? उसके जीवन का 99.9% से अधिक भाग तो पापमय ही होगा।

उसका उद्धार ख्रीष्ट के लहू के द्वारा सुरक्षित किया जाएगा। उसका नाम उस मेमने के जीवन की पुस्तक में होगा जो घात किया गया था।

तब परमेश्वर पुस्तकों को खोलेगा। सबसे पहले तो, वह अपने पुत्र के सर्वश्रेष्ठ बलिदान की महिमा करने के लिए जीवन भर के पाप के अभिलेख का उपयोग करेगा। और फिर दूसरा, परमेश्वर उस अन्तिम पृष्ठ को पढ़ेगा, जहाँ क्रूस के ऊपर डाकू के उस भव्य परिवर्तन का वर्णन किया गया है। उसके जीवन में परमेश्वर का कार्य जो कि उस अन्तिम दिन में हुआ था और जिसका अभिलेख उन पुस्तकों में है, वहाँ तो उस डाकू के विश्वास और ख्रीष्ट के साथ मिलन की सार्वजनिक पुष्टि होगी। और ख्रीष्ट उसके उद्धार का आधार होगा, न कि उसके स्वयं के कार्य।

इसलिए, जब मैं कहता हूँ कि पुस्तकों में जो लिखा गया है वह हमारे विश्वास और ख्रीष्ट के साथ मिलन की सार्वजनिक पुष्टिकरण है, तो मेरा अर्थ यह नहीं है कि हमारे अभिलेखों में बुरे कार्यों से अधिक, भले कार्यों की संख्या होगी।
किन्तु मेरा अर्थ यह है कि वहाँ ख्रीष्ट में उस प्रकार के जीवन का वर्णन होगा जो विश्वास की वास्तविकता को दिखाता है —अर्थात् पुनरुज्जीवन और ख्रीष्ट के साथ मिलन की वास्तविकता को। इसी प्रकार हम एक ख्रीष्टीय के रूप में प्रत्येक दिन में प्रवेश करते हैं: इस भरोसे के साथ कि हम पर दण्ड की आज्ञा अब भूतकाल की बात है (रोमियों 8:1), और यह कि हमारा नाम जीवन की पुस्तक में है, और यह बात कि जिसने हम में भला कार्य आरम्भ किया है वह उसे ख्रीष्ट के दिन तक पूरा भी करेगा।

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जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

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