हमने पिछले दो दिनों में देखा है कि मत्ती 6:25-34 में कम से कम सात प्रतिज्ञाएँ है जो यीशु द्वारा इस उद्देश्य से कही गई हैं कि अविश्वास के विरुद्ध अच्छी कुश्ती लड़ने में हमें सहायता प्राप्त हो और हम चिन्ता से मुक्त हों। आज हम अन्तिम तीन प्रतिज्ञाओं को देखेंगे।
प्रतिज्ञा #5: “इसलिए यह कह कर चिन्ता न करो, ‘हम क्या खाएँगे?’ अथवा ‘क्या पीएँगे? या ‘क्या पहिनेंगे?’ क्योंकि अयहूदी उत्सुकता से इन सब वस्तुओं की खोज में रहते हैं, पर स्वर्ग में तुम्हारा पिता जानता है कि तुम्हें इन सब वस्तुओं की आवश्यकता है।” (मत्ती 6:31-32)
यह न सोचें कि परमेश्वर आपकी आवश्यकताओं के प्रति अनभिज्ञ है। वह उन सब को जानता है। और वह “स्वर्ग में [आपका] पिता” है। वह केवल दूर से, बिना रुचि लिए नहीं देखता रहता है। वह चिन्ता करता है। और उत्तम समय आने पर वह आपकी आवश्यकता की पूर्ति के लिए कार्य करेगा।
प्रतिज्ञा #6: “परन्तु तुम पहले परमेश्वर के राज्य और उसकी धार्मिकता की खोज में लगे रहो तो ये सब वस्तुएँ तुम्हें दी जाएँगी।” (मत्ती 6:33)
अपनी निजी भौतिक आवश्यकताओं के विषय में चिन्तित होने के स्थान पर, यदि आप जगत में अपने आप को परमेश्वर के कार्य के लिए समर्पित कर देंगे, तो परमेश्वर सुनिश्चित करेगा कि उसकी इच्छा पूरी करने के लिए और उसको महिमा देने के लिए, आपके पास सभी आवश्यक संसाधन हों। मैं “ये सब वस्तुएँ तुम्हें दी जाएँगी” को इसी रीति से समझता हूँ। सारा खाना और पीना और वस्त्र — और शेष सभी कुछ — जिसकी आपको आवश्यकता है उसकी इच्छा को पूरी करने और उसकी महिमा करने के लिए। जिसका अर्थ यह भी हो सकता है कि आपके लिए उसका उद्देश्य यह है की आप उसके लिए मरें, परन्तु उसके नाम की महिमा के लिए ऐसा करने में आपको जिस भी बात की आवश्यकता होगी वह उसे प्रदान करेगा।
यह रोमियों 8:32 की प्रतिज्ञा के समान है, “[ख्रीष्ट] के साथ [परमेश्वर] हमें सब कुछ उदारता से क्यों न देगा?” जिसके पश्चात् यह लिखा है, “कौन हम को ख्रीष्ट के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या सताव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार? जैसा लिखा है, ‘तेरे लिए हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होने वाली भेड़ों के सदृश समझे जाते हैं।’ परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिसने हम से प्रेम किया जयवन्त से भी बढ़कर हैं” (रोमियों 8:35-37)। अकाल और नंगाई आ सकते हैं। परन्तु हमारे पास जयवन्त से बढ़कर होने के लिए सब कुछ होगा।
प्रतिज्ञा #7: “इसलिए कल की चिन्ता न करो, क्योंकि कल का दिन अपनी चिन्ता आप कर लेगा। आज के लिए आज ही का दुःख बहुत है।” (मत्ती 6:34)
परमेश्वर यह सुनिश्चित करेगा कि आप किसी भी दिन अपनी क्षमता से अधिक परीक्षा में न पड़ें (1 कुरिन्थियों 10:13)। वह आपके लिए कार्य करेगा, जिससे कि “तेरे दिनों के अनुसार [तुझे] सुख-चैन मिले” (व्यवस्थाविवरण 33:25)।
प्रत्येक दिन के लिए उसका नियुक्त किया गया दुःख है। परन्तु यह कभी भी इतना नहीं होता है कि आप उसे परमेश्वर के अनुग्रह के द्वारा सह न पाएँ। प्रत्येक दिन में ऐसी करुणा होगी जो भोर को नई होती है — करुणा जो उस दिन के दुःख के लिए पर्याप्त है (विलापगीत 3:22-23)। वह आप से किसी ऐसे भले कार्य की आशा नहीं करेगा जिसके लिए वह आपको आपके लिए आवश्यक अनुग्रह को भी प्रदान न करे (2 कुरिन्थियों 9:8)।