परमेश्वर का वचन हमारा मार्गदर्शक है।

“तेरा वचन मेरे पाँव के लिए दीपक, और मेरे मार्ग के लिए उजियाला है।” (भजन संहिता 119:105)

आज हर कोई जीवन में और समाज में प्रगति और उन्नति करना चाहता है। लोग अपनी नौकरी में, आर्थिक अवस्था में, स्वास्थ में, व्यापार में, शिक्षा में, बढ़ना चाहते हैं। विभिन्न संसाधन हैं, लोग हैं, गुरु और शिक्षक हैं जिससे वो इस उन्नति के पथ में बढ़ने हेतु मार्गदर्शन भी लेते हैं। परन्तु एक ख्रीष्टीय होने के नाते हम उन्नति और प्रगति को एक भौतिक, स्वकेन्द्रित और अपने स्वार्थी अभिलाषा को पूरी करने के दृष्टिकोण से नहीं देखते हैं। हमारा दृष्टिकोण ख्रीष्ट-केन्द्रित और आत्मिक है। हमारे लिए प्रगति और उन्नति का सही अर्थ ख्रीष्ट के चरित्र और समानता में बढ़ते जाना है। इसके लिए परमेश्वर का वचन हमारा मार्गदर्शक है। इस लेख में हम यह देखेंगे कि परमेश्वर का वचन किन क्षेत्रों में हमारा मार्गदर्शक है- 

परमेश्वर ने हमें अपने वचन को दिया है जिससे कि हम उसका भय मानें और बुराई से विमुख रहें।

परमेश्वर के सत्य में चलने और उसके भय में बने रहने में

भजन 86:11 के अनुसार वचन की शिक्षा हमें सच्चाई से चलने हेतु सहायता करता है और हमारे जीवन में परमेश्वर के भय को बनाए रखता है। यदि हमें अपने पर छोड़ दिया जाए तो हम अपनी पापमय प्रवृति के अनुसार चलने लगेंगे और बिना परमेश्वर के भय का जीवन जीएँगे। इसलिए परमेश्वर ने हमें अपने वचन को दिया है जिससे कि हम उसका भय माने और बुराई से विमुख रहें (नीतिवचन 3:7)।    

परमेश्वर के लिए फलवन्त होने में 

परमेश्वर प्रेम है और वह चाहता है कि हम उसके साथ प्रेम में बने रहें। सांसारिक मार्गदर्शन हमें अपने आप से प्रेम रखने के लिए सिखाता है, स्वार्थी जीवन जीने के लिए सिखाता है। परन्तु परमेश्वर का वचन हमें कहता है कि वो सच्ची दखलाता है और हम डालियाँ हैं। वो चाहता है कि हम उसमें बने रहें, उसके प्रेम में बने रहें और उसका वचन हममें बना रहेगा तो वो हमारी प्रार्थनाओं को सुनेगा और हमें पिता की लिए फलवन्त बनाएगा (यूहन्ना 15:5-9)।  

परमेश्वर का वचन अगर हमारे जीवन में नहीं होगा तो इस संसार में हम भटकेंगे और पथ-भ्रष्ट हो जाएँगे। इसलिए हम अपने जीवन में परमेश्वर के वचन को स्थान दें जिससे कि वह वचन हमारा मार्गदर्शक बन सके।   

पवित्रता का जीवन जीने में 

इस संसार में हम निरन्तर संसार शरीर एवं शैतान की और से प्रलोभनों का सामना करते हैं। हम अपनी अभिलाषों के अनुसार जीना चाहते हैं। परन्तु परमेश्वर के अनुसार हम इस संसार में केवल एक यात्री हैं। 1 पतरस 2:11 के अनुसार हम इस जगत में एक यात्री हैं और इसलिए हमें शारीरिक वासनाओं से दूर रहना है जो हमारी आत्मा के विरुद्ध युद्ध करता है। गलातियों 5:19-21 हमें चेतावनी देता है कि यदि हम शरीर के कामों में लगे रहेंगे तो हम परमेश्वर के राज्य के उत्तराधिकारी नहीं होंगे। इसलिए हम पवित्रता में चलें क्योंकि हम पवित्र आत्मा के द्वारा जीवित कर दिए गए हैं।          

अतः हम इस बात को स्मरण रखें कि परमेश्वर का वचन अगर हमारे जीवन में नहीं होगा तो इस संसार में हम भटकेंगे और पथ-भ्रष्ट हो जाएँगे। इसलिए हम अपने जीवन में परमेश्वर के वचन को स्थान दें जिससे कि वह वचन हमारा मार्गदर्शक बन सके।   

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मोनिष मित्रा
मोनिष मित्रा

परमेश्वर के वचन का अध्ययन करते हैं और मार्ग सत्य जीवन के साथ सेवा करते हैं।

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