जो लोग यीशु ख्रीष्ट पर गर्व करते हैं और उसमें आशा रखते हैं, वे परमेश्वर का घर हैं। जिसका अर्थ है कि आज के दिन — न केवल मूसा के दिनों में और न ही पृथ्वी पर के अपने जीवन के दिनों में — परन्तु आज के दिन, यीशु हमारा निर्माता, हमारा स्वामी, हमारा शासक, और हमारा प्रावधान करने वाला है।
यीशु को इस घर का “बनाने वाला” कहा गया है। मूसा बनाने वाला नहीं था। वह तो घर का भाग था। इसीलिए लिखा गया है, “जैसे घर का बनाने वाला घर की अपेक्षा अधिक आदरणीय होता है, वैसे ही यीशु भी मूसा की अपेक्षा कहीं बढ़कर महिमायोग्य समझा गया।” इसलिए मूसा, भले ही वह घर की अगुवाई करने में और घर को परमेश्वर का वचन देने के कारण महान् था, किन्तु वह फिर भी घर का भाग था। परन्तु यीशु ने घर को बनाया।
इसलिए यदि हम यीशु पर गर्व करें और यीशु पर आशा रखें, तो हम उसके घर हैं, तथा यीशु हमारा बनाने वाला, और स्वामी और शासक और प्रावधान करने वाला है। वह अपने घर को नाश होने या खण्डहर बनने नहीं देता है।
फिर लेखक चित्रण को परिवर्तित करता है — वह बनाने वाले और घर के स्थान पर पुत्र और और सेवक की बात करता है। “परमेश्वर के सारे घराने में से मूसा तो सेवक की भाँति विश्वासयोग्य रहा . . . परन्तु ख्रीष्ट तो पुत्र के सदृश परमेश्वर के घराने में विश्वासयोग्य है।” और इस प्रकार से ख्रीष्ट भी उस घर का भाग बन गया — उस घराने का भाग — जिसे उसने बनाया। परन्तु फिर भी उसका आदर मूसा से बहुत बढ़कर है। मूसा तो सेवक था। ख्रीष्ट तो पुत्र है। वह तो उत्तराधिकारी है।
और अब हम इस घराने के भाग हैं। इब्रानियों 3:6: “यदि हम अपने विश्वास और आशा के गर्व को अन्त तक दृढ़ता से थामे रहते हैं तो हम ही उसका घराना हैं।” हमें अवश्य ही मूसा को उसके लिए उपयुक्त आदर देना चाहिए। परन्तु इब्रानियों की पुस्तिका की मुख्य बात यह है कि: ख्रीष्ट उससे श्रेष्ठ है। वह हर प्रकार से श्रेष्ठ है। वह परमेश्वर के लोगों के घर का बनाने वाला है। और वह परमेश्वर के लोगों के घर में पुत्र है। आइए हम मूसा का आदर करें। किन्तु आइए हम यीशु की आराधना करें — उस यीशु की जो हमारा सृजनहार और हमारा भाई है।