हमें अपने शत्रुओं से प्रेम क्यों करना चाहिए?

May 12, 2025

हमें अपने शत्रुओं से प्रेम क्यों करना चाहिए?

“अपने शत्रुओं से प्रेम करो, जो तुम से घृणा करते हैं उनकी भलाई करो ।” (लूका 6:27)

दो मुख्य कारण हैं कि क्यों ख्रीष्टियों को अपने शत्रुओं से प्रेम करना चाहिए और उनका भला करना चाहिए।

पहला कारण है कि यह परमेश्वर के विषय में कुछ प्रगट करता है कि वह कैसा है। परमेश्वर दयालु है।

  •    वह अपना सूर्य भलों और बुरों दोनों पर उदय करता है, और धर्मियों तथा अधर्मियों दोनों पर मेंह बरसाता है। (मत्ती 5:45)
  •     उसने हमारे पापों के अनुसार हमसे व्यवहार नहीं किया, न हमारे अधर्म के अनुसार हमें बदला दिया। (भजन 103:10)
  •     एक-दूसरे के प्रति दयालु और करुणामय बनो, और परमेश्वर ने ख्रीष्ट में जैसे तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक-दूसरे के अपराध क्षमा करो । (इफिसियों 4:32)

इसलिए, जब ख्रीष्टीय परमेश्वर की सामर्थ्य के द्वारा इस रीति से जीवन व्यतीत करते हैं, तो हम इस विषय में कुछ दर्शाते हैं कि परमेश्वर कैसा है।

दूसरा कारण यह है कि ख्रीष्टियों का हृदय परमेश्वर से सन्तुष्ट होता है और प्रतिशोध या आत्म-उन्नति या धन अथवा सांसारिक सुरक्षा की लालसा से प्रेरित नहीं होता है।

परमेश्वर हमारा पूर्ण-सन्तुष्टि प्रदान करने वाला धन बन गया है और इस कारण हम अपने विरोधियों से अपनी आवश्यकता और असुरक्षा के आधार पर व्यवहार नहीं करते हैं, किन्तु अपनी पूर्णता से भरकर परमेश्वर की सन्तुष्ट करने वाली महिमा के आधार पर करते हैं।

इब्रानियों 10:34, “तुम ने अपनी सम्पत्ति के ज़ब्त किए जाने को यह जान कर सहर्ष स्वीकार किया [अर्थात, तुमने अपने विरोधियों के विरुद्ध बदला नहीं लिया], कि तुम्हारे पास और भी अधिक उत्तम और चिरस्थाई सम्पत्ति है।” जो हमारे बदला लेने की बाध्यता को दूर करता है वह हमारा दृढ़ विश्वास है कि यह संसार हमारा घर नहीं है, और यह कि परमेश्वर ही हमारा सर्वथा सुनिश्चित और सर्वसंतोषजनक पुरस्कार है। “हम जानते हैं कि हमारे पास और भी अधिक उत्तम और चिरस्थाई सम्पत्ति है ।”

अतः, अपने शत्रु से प्रेम करने के इन दोनों कारणों में हम मुख्य बात को देखते हैं: वास्तव में परमेश्वर जो है एक दयालु परमेश्वर के रूप में और महिमामय रूप से सर्वसन्तोषजनक दिखाया गया है।

दयालु होने की सामर्थ्य यह है कि हम अपने प्रति परमेश्वर की दया से सन्तुष्ट हुए हैं। और दयालु होने का सर्वोत्तम कारण यह है कि परमेश्वर की महिमा करें, अर्थात, दूसरों की सहायता करें कि वे परमेश्वर की दया के लिए उसकी बड़ाई करें। हम दिखाना चाहते हैं कि परमेश्वर महाप्रतापी है। हम चाहते हैं कि परमेश्वर की दया से हमारा प्रेम, परमेश्वर को मनुष्य की दृष्टि में महान बनाए। 

साझा करें
जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

Articles: 407

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

  1. हमें अपने शत्रुओं से प्रेम क्यों करना चाहिए? (Current)

    जॉन पाइपर | May 12, 2025
  2. मृत्यु का पूर्वाभ्यास (Rehearsal)

    जॉन पाइपर | December 31, 2025
  3. तैयार और सशक्त किए गए

    जॉन पाइपर | December 30, 2025
  4. एक भयानक गन्तव्य

    जॉन पाइपर | December 29, 2025
  5. महिमा ही लक्ष्य है

    जॉन पाइपर | December 28, 2025
  6. आपका लक्ष्य क्या है?

    जॉन पाइपर | December 27, 2025
  7. आपदा के विषय में कैसे विचार करें

    जॉन पाइपर | December 26, 2025
  8. क्रिसमस के तीन उपहार

    जॉन पाइपर | December 25, 2025
  9. क्रिसमस के दो उद्देश्य

    जॉन पाइपर | December 24, 2025
  10. परमेश्वर का अवर्णनीय उपहार

    जॉन पाइपर | December 23, 2025
  11. कि तुम विश्वास करो

    जॉन पाइपर | December 22, 2025