परमेश्वर के लोगों के पास तब तक कोई आशा नहीं है जब तक परमेश्वर उन्हें उनके पाप और अविश्वास में गिरने और छलांग लगाने से फेर नहीं लाता।
विलापगीत की पुस्तक बाइबल में निराशा से भरी हुई पुस्तक है। परमेश्वर ने स्वयं अपनी आँख का तारा अर्थात् यरुशलेम को नष्ट कर दिया था।
- यहोवा ने अपना पूरा रोष प्रकट किया, उसने अपने भयानक कोप का प्याला उण्डेल दिया है; और सिय्योन में उसने ऐसी आग लगा दी है जिस से वह जड़ मूल तक भस्म हो गया है। (विलापगीत 4:11)
- उसने उन सब को मार डाला जो देखने में सुन्दर थे। (विलापगीत 2:4)
- यहोवा ने उसके अपराधों की अधिकता के कारण उसे भारी दुख दिया है। (विलापगीत 1:5)
तो इस पुस्तक का अन्त कैसे होता है?
इस पुस्तक का अन्त जो एकमात्र आशा है उसी के साथ होता है:
हे यहोवा, हमको अपनी ओर फेर ला, जिससे कि हम वापस आ सकें! (विलापगीत 5:21)
यही मेरी एकमात्र आशा है — और आपकी भी एकमात्र आशा है!
यीशु ने पतरस से कहा, “शमौन, हे शमौन, देख! शैतान ने तुम लोगों को गेहूँ के समान फटकने के लिए आज्ञा माँग ली है, परन्तु मैंने तेरे लिए प्रार्थना की है कि तेरा विश्वास चला न जाए। अत: जब तू फिरे तो अपने भाइयों को स्थिर करना” (लूका 22:31-32)।
यह नहीं कि यदि तू फिरेगा। परन्तु यह कि जब तू फिरेगा। मैंने तुम्हारे लिए प्रार्थना की है। तुम अवश्य ही फिरोगे। और जब तुम फिरोगे, तो यह मेरा सम्प्रभु अनुग्रह ही होगा जो तुम्हें धर्मत्याग के संकट से वापस ले आया था।
हे ख्रीष्टीय, यह आपके लिए भी सत्य है। विश्वास में बने रहने की यही आपकी एकमात्र आशा है। इस पर गर्व कीजिए।
ख्रीष्ट यीशु ही है जो . . . परमेश्वर की दाहिनी ओर है, और हमारे लिए निवेदन भी करता है। (रोमियों 8:34)वह हमें फेर लाएगा। इसलिए, “जो ठोकर खाने से तुम्हारी रक्षा कर सकता है . . . उसकी महिमा, गौरव, पराक्रम एवं अधिकार सनातन काल से है, अब भी हो और युगानुयुग रहे” (यहूदा 1:24-25)। आमीन।