एक भजनकार परमेश्वर की सन्तान

क्या आप यीशु को भजन गाते हुए सुन सकते हैं?

क्या वो भारी स्वर में गा रहा था या साधारण स्वर में? क्या उसके स्वर में एक देसी-अनुनासिक आभास था? या उसका सुर अत्यन्त ऊँचा था?

क्या उसने अपनी आँखों को बंद करके अपने पिता के लिए भजन गया था? या उसने अपने चेलों की आँखों में देखकर उनके भाईचारे के प्रेम के कारण मुस्कुरा कर गाया था?

क्या प्रायः गीत गाना वह ही आरम्भ करता था? या पतरस और याकूब, या सम्भवतः मत्ती आरम्भ करता था?

ओह, मैं यीशु को गाते हुए सुनने के लिए प्रतीक्षा नहीं कर पा रहा हूँ! मेरा विचार है कि यदि वह अपनी स्वर्गीय वाणी को इस विश्व में ऊँचे स्वर में निकालेगा को सम्भवतः सभी ग्रह अपने नक्षत्रों से बाहर गिर पड़ेंगे। पर हमारे पास एक ऐसा राज्य है जिसे हिलाया नहीं जा सकता है; तो इसलिए अब हे प्रभु, तू गा!

ख्रीष्टियता एक भजन गाने वाले विश्वास से भिन्न कुछ और नहीं हो सकती है। जिसने इसकी नींव रखी है उसने ही भजन गाया है। उसने अपने पिता से गीत गाना सीखा है। अवश्य ही वे दोनों अनन्तकाल से साथ में भजन गाते रहे होंगे। क्या आप को ऐसा नहीं लगता? क्या आप को नहीं लगता है कि त्रिएकता की कभी समाप्त न होने वाली अनन्त आनन्द से पूर्ण सहभागिता भजन नहीं गाती होगी? 

बाइबल कहती है कि हमारे भजन गाने का लक्ष्य है “आनन्द से ऊँचे स्वर से गाना” (1 इतिहास 15:16)। सम्पूर्ण विश्व में परमेश्वर से अधिक आनन्द किसी के पास नहीं है। वह अनन्त रीति से आनन्दमय है। उसने अनंतकाल से आनन्द मनाया है, अपने स्वयं की सिद्धता की दृश्य विराटता में जो सिद्ध रूप से उसके पुत्र में प्रतिबिम्बित होती है। 

परमेश्वर का आनन्द हमारी समझ से परे अति सामर्थी है। वह परमेश्वर है। जब वह बोलता है तो आकाशगंगाएँ उत्पन्न हो जाती हैं। और जब वह आनन्द से पूर्ण हो कर गाता है, तो जितनी उर्जा इस सम्पूर्ण विश्व की सभी वस्तुओं में मिलाकर उत्पन्न होती है उस से कहीं अधिक उर्जा निकलती है। 

यदि उसने, उसके प्रति हमारे हृदय के आनन्द को दर्शाने के लिए हमारे लिए गीत निर्धारित किया है, तो क्या यह इस कारण नहीं है क्योंकि वह स्वयं जानता है कि आत्मा के द्वारा उसके पुत्र में अपने स्वयं के स्वरुप के प्रति जो उसके हृदय का आनन्द है उसे गीत गाने के द्वारा दर्शाने में उसे आनन्द प्राप्त होता है? हम भजन गाने वाले लोग हैं क्योंकि हम भजनकार परमेश्वर की सन्तान हैं।

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जॉन पाइपर
जॉन पाइपर

जॉन पाइपर (@जॉन पाइपर) desiringGod.org के संस्थापक और शिक्षक हैं और बेथलेहम कॉलेज और सेमिनरी के चाँसलर हैं। 33 वर्षों तक, उन्होंने बेथलहम बैपटिस्ट चर्च, मिनियापोलिस, मिनेसोटा में एक पास्टर के रूप में सेवा की। वह 50 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें डिज़ायरिंग गॉड: मेडिटेशन ऑफ ए क्रिश्चियन हेडोनिस्ट और हाल ही में प्रोविडेन्स सम्मिलित हैं।

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