अब जो बातें हम कह चुके हैं उनमें मुख्य बात यह है कि हमारा ऐसा महायाजक है, जो स्वर्गों में महामहिमन के सिंहासन के दाहिने विराजमान है। वह उस पवित्र स्थान और सच्चे तम्बू का सेवक बना जिसे मनुष्य ने नहीं, परन्तु प्रभु ने खड़ा किया है। (इब्रानियों 8:1–2)
इब्रानियों की पुस्तक का मुख्य विषय यह है कि यीशु ख्रीष्ट, परमेश्वर का पुत्र, केवल सबसे उत्तम और अन्तिम मानवीय याजक के रूप में, पृथ्वी पर की याजकीय सेवा की प्रणाली में उपयुक्त रीति से सम्मिलित होने के लिए ही नहीं आया था, वरन् वह तो उसे पूरा करने और उस प्रणाली का अन्त करने, और हमारा सारा ध्यान स्वयं पर केन्द्रित करने, हमारे लिए पहले कलवरी पर, अन्तिम बलिदान के रूप में, और फिर स्वर्ग में, हमारे अन्तिम याजक के रूप में, सेवा करने के लिए आया था।
पुराने नियम का तम्बू और याजक और बलिदान छाया मात्र थे। अब वास्तविकता आ गयी है, और छाया हट गयी है।
यहाँ बच्चों के लिए ख्रीष्ट आगमन का एक चित्रण है—और हम में से उनके लिए भी जो बच्चे हुआ करते थे और जिनको स्मरण है कि वह आभास कैसा हुआ करता था। मान लीजिए कि आप और आपकी माँ किराने की दुकान में एक दूसरे से अलग हो जाते हैं, और आप डरने लगते हैं और घबराने लगते हैं और आप को नहीं पता कि किस मार्ग पर जाना है, और आप गलियारे के अन्त तक दौड़ते हैं, और इससे पहले कि आप रोना आरम्भ करें, आप गलियारे के अन्त में भूमि पर एक छाया को देखते हैं जो कि आपकी माँ के समान प्रतीत होती है। यह आपको वास्तव में एक आशा से भर देती है। परन्तु अधिक उत्तम क्या है? छाया को देखने पर मिलने वाली आशा, या कोने से आपकी माँ का बाहर निकल कर आना और आपके द्वारा यह देखना कि वास्तव में वह आप की माता ही हैं?
यह कुछ ऐसी ही बात है जब यीशु हमारा महायाजक होने के लिए आता है। यही क्रिसमस है। क्रिसमस छाया को वास्तविक वस्तु से बदल देता है: जैसे कि माँ के गलियारे के कोने से निकल कर आने पर एक छोटे बच्चे को सारा चैन और आनन्द प्राप्त होता है।
(इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए इस पुस्तक के अन्त में “पुराने नियम की छाया और ख्रीष्ट का आगमन,” नामक परिशिष्ट को देखें।)