ख्रीष्ट ने पापियों के लिए कष्ट उठाने और मरने के द्वारा संसार के लिए एक प्रेमबलि तैयार किया है। यह एक सिद्ध बलिदान है। यह उसके सभी लोगों के सारे पापों का मूल्य चूकाता है। इसको उत्तम बनाने के लिए इसमें और कुछ नहीं जोड़ा जा सकता है। इसमें किसी बात की घटी नहीं है — केवल एक बात को छोड़कर, और वह है स्वयं ख्रीष्ट द्वारा संसार के राष्ट्रों के सामने इसकी व्यक्तिगत प्रस्तुतिकरण।
इस घटी को दूर करने के लिए परमेश्वर का प्रतिउत्तर है ख्रीष्ट के लोगों (पौलुस के जैसे लोगों) को संसार के सामने ख्रीष्ट के कष्टों की व्यक्तिगत प्रस्तुतिकरण के लिए बुलाहट। ऐसा करने के द्वारा, हम “ख्रीष्ट के क्लेशों की घटी को पूर्ण करते हैं।” हम उन्हें उसी के लिए पूरा करते हैं जिस उद्देश्य हेतु वे बनाए गए थे, अर्थात् उन लोगों के लिए एक व्यक्तिगत प्रस्तुति जो अपने अनन्त मूल्य के विषय में नहीं जानते हैं।
परन्तु कुलुस्सियों 1:24 की सबसे अद्भुत बात यह है कि पौलुस किस प्रकार से ख्रीष्ट के क्लेशों को पूर्ण कर रहा है।
वह कहता है कि यह उसके अपने कष्ट हैं जो ख्रीष्ट के क्लेशों को पूर्ण करते हैं। इसका अर्थ यह है कि, पौलुस ख्रीष्ट के क्लेशों को स्वयं उनके लिए कष्ट उठाने के द्वारा प्रदर्शित करता है जिन्हें वह ख्रीष्ट के लिए जीतने का प्रयास कर रहा है। उसके कष्टों में वे ख्रीष्ट के कष्टों को देखेंगे।
इसका आश्चर्यजनक परिणाम यह है कि: परमेश्वर चाहता है कि ख्रीष्ट के क्लेशों को उसके लोगों के क्लेशों के माध्यम से संसार के सम्मुख प्रस्तुत किया जाए।
परमेश्वर वास्तव में चाहता है कि ख्रीष्ट की देह अर्थात् कलीसिया उसके द्वारा अनुभव किए गए कुछ कष्टों का अनुभव करे, जिससे कि जब हम क्रूस को जीवन के मार्ग के रूप में उद्घोषित करें, तो लोग हम में क्रूस के चिन्ह को देखेंगे और हमारे द्वारा क्रूस के प्रेम का अनुभव करेंगे।