जब मैं वृद्ध होने के विषय में चिन्तित होता हूँ, तो मैं इस प्रतिज्ञा के साथ अविश्वास से युद्ध करता हूँ, “तुम्हारे बुढ़ापे में भी मैं वैसा ही बना रहूँगा, और तुम्हारे बाल पकने के समय तक तुम्हें उठाए रखूँगा। मैंने ही तुम्हें बनाया और मैं तुम्हें लिए फिरूँगा। मैं तुम्हें उठाए रहूँगा और छुड़ाता रहूँगा” (यशायाह 46:4)।
जब मैं मरने के विषय में चिन्तित होता हूँ, तो मैं इस प्रतिज्ञा के साथ अविश्वास से युद्ध करता हूँ, “हम में से न तो कोई अपने लिए जीता है और न कोई अपने लिए मरता है। क्योंकि यदि हम जीवित हैं तो प्रभु के लिए जीवित हैं अथवा यदि हम मरते हैं तो प्रभु के लिए मरते हैं; इसलिए चाहे हम जीवित रहें या मरें, हम प्रभु ही के हैं। इसी कारण ख्रीष्ट मरा और फिर जी भी उठा कि वह मृतकों और जीवितों दोनों का प्रभु हो” (रोमियों 14:7-9)।
जब मैं चिन्तित होता हूँ कि मैं अपने विश्वास-रूपी जहाज़ को डुबाकर परमेश्वर से दूर चला जाऊँगा, तो मैं इन प्रतिज्ञाओं के द्वारा अविश्वास से युद्ध करता हूँ, “जिसने तुम में भला कार्य आरम्भ किया है, वही उसे ख्रीष्ट यीशु के दिन तक पूर्ण भी करेगा” (फिलिप्पियों 1:6); और “जो उसके द्वारा परमेश्वर के समीप आते हैं, वह उनका पूरा-पूरा उद्धार करने में समर्थ है, क्योंकि वह उनके लिए निवेदन करने को सर्वदा जीवित है” (इब्रानियों 7:25)।
इस युद्ध में मेरे साथ जुड़ जाइए! आइए हम अन्य लोगों से नहीं वरन् अपने ही अविश्वास से युद्ध करें। परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं पर अविश्वास करना, चिन्ता की जड़ है, जो कि अन्य बहुत सारे पापों की जड़ है। पौलुस ने इफिसियों 6:17 में कहा कि परमेश्वर का वचन आत्मा की तलवार है। विश्वास वह ढाल है जिसके द्वारा हम शैतान के अग्नि-बाणों को बुझा सकते हैं (16 पद) — परमेश्वर के ही वचन पर विश्वास। इसलिए अपने बाएँ हाथ में ढाल लें और अपने दाएँ हाथ में तलवार लें, और आइए हम विश्वास की अच्छी लड़ाई लड़ें।
भविष्य-के-अनुग्रह पर विश्वास के द्वारा जीने के लिए — बाइबल को उठाएँ, पवित्र आत्मा से सहायता की माँग करें, अपने हृदयों में प्रतिज्ञाओं को थामें, और अच्छी लड़ाई लड़ें।