पौलुस के मन में एक विशेष कारण है कि क्यों विश्वास परमेश्वर के भविष्य-के-अनुग्रह को महिमान्वित करता है। सीधे शब्दों में कहें तो इसका कारण यह है कि परमेश्वर को महिमान्वित करने वाला यह विश्वास उसकी सभी प्रतिज्ञाओं का अन्त तक पालन करने के लिए परमेश्वर की सत्यनिष्ठा और शक्ति तथा बुद्धि पर एक भविष्य-उन्मुख भरोसा है।
पौलुस इस विश्वास की व्याख्या परमेश्वर की प्रतिज्ञा के प्रति अब्राहम के प्रतिउत्तर से करता है: कि अब्राहम बहुत सी जातियों का पिता होगा, भले ही वह बूढ़ा था और उसकी पत्नी बाँझ थी (रोमियों 4:18)। “उसने निराशा में भी आशा रखकर विश्वास किया,” अर्थात्, सभी मानवीय प्रमाण के उसके विरूद्ध होने पर भी उसे परमेश्वर की प्रतिज्ञा के भविष्य-के-अनुग्रह पर विश्वास था।
वह जो एक सौ वर्ष का था, अपने मृतक समान शरीर और सारा के गर्भ की मरी हुई दशा जानते हुए भी विश्वास में निर्बल न हुआ, परन्तु परमेश्वर की महिमा करते हुए विश्वास में दृढ़ हुआ, और पूर्णतः आश्वस्त होकर कि जो प्रतिज्ञा उसने की थी, वह उसे पूरा करने में भी समर्थ है। (रोमियों 4:19-21)
अब्राहम का विश्वास उसे बहुत सी जातियों का पिता बनाने की परमेश्वर की प्रतिज्ञा में विश्वास था। इस विश्वास ने परमेश्वर को महिमान्वित किया क्योंकि इसने परमेश्वर के उन सभी सर्वशक्तिमान, आलौकिक संसाधनों जिनकी इस प्रतिज्ञा को पूरी करने हेतु आवश्यकता होगी की ओर ध्यान आकर्षित किया।
अब्राहम इतना बूढ़ा था कि उससे बच्चे नहीं हो सकते थे और सारा बाँझ थी। और इतना ही नहीं: आप एक अथवा दो पुत्रों को “बहुत सी जातियों” में कैसे बना देंगे, जिनके विषय में परमेश्वर ने कहा था कि अब्राहम उनका पिता होगा। यह सब पूर्णतः असम्भव दिखाई दे रहा था।
इसलिए, अब्राहम के विश्वास ने परमेश्वर को महिमान्वित किया क्योंकि वह पूर्ण रीति से इस बात के लिए निश्चित था कि परमेश्वर उस कार्य को कर सकता है और करेगा जो मानवीय रीति से असम्भव है। यही वह विश्वास है जिसके लिए हमें बुलाया गया है कि परमेश्वर हमारे लिए वह करेगा जो हम स्वयं के लिए नहीं कर सकते थे।