परमेश्वर की सम्प्रभु सामर्थ्य में भरोसे के साथ जिएँ
जॉन पाइपर द्वारा भक्तिमय अध्ययन

जॉन पाइपर द्वारा भक्तिमय अध्ययन

संस्थापक और शिक्षक, desiringGod.org

. . . और उसका सामर्थ्य हम विश्वास करने वालों के प्रति कितना महान् है। (इफिसियों 1:19)

परमेश्वर की सर्वसामर्थ्यता (omnipotence) का अर्थ है कि परमेश्वर की सनातन महिमा में अनन्त एवं अटल शरण प्राप्त करना, भले ही पृथ्वी पर कुछ भी हो रहा हो। और ऐसा भरोसा परमेश्वर द्वारा बुलाहट के प्रति सम्पूर्ण आज्ञाकारिता का स्रोत तथा सामर्थ्य है।

क्या इस सत्य से बढ़कर कोई और स्वतन्त्रता प्रदान करने वाला, और रोमाँचित करने वाला या और अधिक दृढ़ करने वाला सत्य है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर हमारी शरण है—वह भी जीवन की सब परिस्थितियों में, प्रतिदिन, साधारण और असाधारण अनुभवों में भी?

यदि हम यह विश्वास करते हैं, यदि हम सच में परमेश्वर के सर्वसामर्थ्यता के सत्य को स्वयं पर पकड़ बनाने देते हैं तो यह हमारे व्यक्तिगत जीवन में तथा हमारी सेवकाई में बहुत बड़ा परिवर्तन करेगा। तब हम उन उद्देश्यों हेतु नम्र और सामर्थी बन जाएँगे जिनके लिए परमेश्वर द्वारा हम बचाए गए हैं।

परमेश्वर की सर्वसामर्थ्यता का अर्थ है कि परमेश्वर अपने लोगों के लिए शरण है। और जब आप वास्तव में यह विश्वास करते हैं कि परमेश्वर की सर्वसामर्थ्यता आपकी शरण है, तब आपके जीवन में यीशु ख्रीष्ट के प्रति सम्पूर्ण आज्ञाकारिता हेतु आनन्द और स्वतन्त्रता और सामर्थ्य उमड़ पड़ती है।

परमेश्वर की सर्वसामर्थ्यता का अर्थ है उसके वाचा के लोगों के लिए आदर, भरपाई और शरण।

मैं आपको आमन्त्रित करता हूँ कि उसकी वाचा की माँगों को स्वीकार कीजिए: पापों से फिरिए और यीशु ख्रीष्ट पर विश्वास कीजिए; और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की सर्वसामर्थ्यता आपके प्राण का आदर, आपके शत्रुओं द्वारा हानि की  भरपाई और सदाकाल के लिए आपके जीवन का शरणस्थान होगा।

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