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एक कलीसिया ने लॉकडाउन के दौरान एक-दूसरे का ध्यान कैसे रखा?

कलीसिया एक नया जन्म पाए हुए विश्वासियों का समूह है, जिन्होंने साथ में मिलकर मसीही जीवन जीने की वाचा बांधी है, और जिनसे वचन कहता है कि “एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ो… वरन् एक दूसरे को प्रोत्साहित करते रहो और उस दिन को निकट आते देख कर और भी अधिक इन बातों को किया करो ” (इब्रानियों 10:25)। इसलिए, आमतौर पर कलीसिया के लोग अलग-अलग सन्दर्भ में एक दूसरे से मिलते हैं। हम हर हफ्ते रविवार की आराधना के लिए, सप्ताह के बीच में गृह सभा के लिए, पहुनाई करने के लिए, और विभिन्न तरह से शिष्यता को बढ़ाने के संदर्भ में एक दूसरे से मिलते हैं। और जब-जब हम मिलते है, हम एक दूसरे की सेवा करते हैं और एक दूसरे का ध्यान रखते हैं (1 थिस्सलुनीकियों 5:11)। इस तरह का ध्यान रखना कलीसियाई जीवन का केन्द्र है, और मैं आपके साथ कुछ तरीकों को बाँटना चाहता हूँ जिसके द्वारा बंदी के समय हमारी कलीसिया ने एक दूसरे का ध्यान रखा।

प्रार्थना: “प्रत्येक विनती और निवेदन सहित पवित्र आत्मा में निरन्तर प्रार्थना करते रहो। और यह ध्यान रखते हुए सतर्क रहो कि यत्न सहित सब पवित्र लोगों के लिए प्रार्थना करो ” (इफिसियों 6:18)। परमेश्वर का वचन विश्वासियों को सदैव प्रार्थना करने के लिए उत्साहित करता है, न केवल अपने लिए, परन्तु अन्य सन्तों के लिए भी। इसलिए बंदी के पहले ही सप्ताह से कलीसिया के अगुवों ने नियमित रीति से वचन के द्वारा लोगों को प्रोत्साहित किया कि हम अपने-अपने घरों में रहते हुए भी एक दूसरे के लिए प्रार्थना कर सकते हैं। हमने नियमित रीति से लोगों को वाट्सऐप के द्वारा अलग-अलग विषयों पर प्रार्थना निवेदन भेजें। और हम विशेष ध्यान देते हैं कि सभी प्रार्थना निवेदनों के लिए बाइबल के पद लें ताकि कलीसिया परमेश्वर के वचन के अनुसार प्रार्थना कर सके। इस प्रकार से, हमारी कलीसिया इस महामारी के दौरान एक दूसरे के लिए वचन पर आधारित प्रार्थना करने के द्वारा एक दूसरे की देखभाल कर रही है।

आत्मिक संसाधन देने के द्वारा: “परन्तु हम तो स्वयं प्रार्थना और वचन की सेवा में लगे रहेंगे ” (प्रेरितों के काम 6:4)। प्रार्थना करने के साथ, कलीसिया के अगुवों का मुख्य कार्य वचन की शिक्षा देना है, लेकिन इस बंदी के कारण कलीसिया में नियमित रीति से प्रचार का कार्य बंद हो गया। फिर भी कलीसिया के अगुवों ने विश्वासियों को बिना चरवाहे की भेड़ों के समान अकेले नहीं छोड़ दिया कि वे अपना उपाय स्वयं करें। हमने ऑनलाइन आराधना नहीं की क्योंकि हमारी कलीसिया में सब लोगों के पास तेज़ इन्टरनेट, कम्प्यूटर, स्मार्ट टी.वी आदि की सुविधा नहीं हैं। इसके बदले हमने उनके लिए पहले के संदेशों को नियमित रीति से भेजा कि वह अपनी सुविधा के अनुसार अपने परिवारों के साथ उनको सुन अथवा देख सकें। हमने बीच-बीच में छोटे ऑडियों रिकॉर्डिंग, आर्टिकल और पुस्तकों को भी भेजा कि कलीसिया आत्मिक रीति से बढ़ती जाए। हमारी इच्छा है कि बंदी के समय जबकि उनके पास अधिक समय है, तो वह अपने हृदयों और दिमागों को परमेश्वर के वचन से भरें, न कि संसार की बातों से।

तकनीकी संसाधन के द्वारा संगति: “… एक दूसरे को प्रोत्साहित करो और एक दूसरे की उन्नति करो जैसा कि तुम कर भी रहे हो ” (1 थिस्सलुनीकियों 5:11)। हमारी कलीसिया में इस बात पर ज़ोर दिया जाता है कि जब-जब हम मिलें, हम जानबूझकर आत्मिक बातों की चर्चा करें। इस बंदी के समय कलीसिया के अगुवों ने और कलीसिया के सदस्यों ने फोन पर एक दूसरे से बात करने के द्वारा एक दूसरे का ध्यान रखा। इसके साथ, लोगों ने वीडियो कॉल, वाट्सऐप आदि के द्वारा एक दूसरे के प्रति अपनी चिन्ता, अपने प्रेम और आमने-सामने न मिल पाने के दुख को व्यक्त किया। और जहां सम्भव था, कुछ बाइबल अध्ययन और डिवोशन ज़ूम कॉल के द्वारा भी हुए। हमने तकनीकी संसाधनों का उपयोग करके एक दूसरे को याद दिलाया कि हम अभी भी एक देह और कलीसिया के भाग हैं। हम अकेले और अलग नहीं हैं।

पहुनाई: “बिना कुड़कुड़ाए एक दूसरे की पहुनाई करो ” (1 पतरस 4:9)। पहुनाई कलीसिया का एक महत्वपूर्ण भाग है, जिसमें कलीसिया के सभी लोग बढ़-चढ़ कर भाग लेते हैं। पहुनाई में लोग अपने घर, परिवार, और हृदय को दूसरों के लिए खोलते हैं कि साथ में मिलकर संगति और भोजन करें। इस बंदी के दौरान हम अपनी कलीसिया में ऐसा तो नहीं कर पाए, परन्तु, फिर भी छोटी बातों के द्वारा एक दूसरे को पहुनाई दिखा सके। कलीसिया में एक दूसरे से निकट रहने वाले लोगों ने एक दूसरे को प्रोत्साहित करने के लिए भोजन, खीर, केक आदि स्वादिष्ट खाने की वस्तुओं को, सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखते हुए, बिना उनके घरों में प्रवेश किए, उनके लिए पहुँचाया। बंदी के समय प्रकट किया गया यह प्रेम कलीसिया के सम्बन्धों को और गहरा बनाता है, और इसके कारण हम सुसमाचार के लिए एक साथ खड़े होने के लिए और उत्साहित हैं।

आर्थिक सहायता: परमेश्वर का अनुग्रह मैसीडोनिया की कलीसियाओं पर हुआ कि, “संकटों की कठिन परीक्षा में उनके अपार आनन्द और घोर दरिद्रता के फलस्वरूप उनकी उदारता उमड़ पड़ी ” (2 कुरिन्थियों 8:1-2)। आवश्यकता में पड़े हुए मसीही भाइयों और बहनों को अपना धन देना एक स्पष्ट चिह्न है कि विश्वासी अन्य-केन्द्रित जीवन जी रहे हैं। हमारी कलीसिया नई है और इसमें कम लोग हैं। कलीसिया के लोग अमीर नहीं हैं, परन्तु फिर भी उन्होंने इस बंदी के दौरान उदारता से अपने धन को दिया। व्यक्तिगत सहायता करने के साथ, विश्वासियों ने कलीसिया के लिए अपने नियमित सहयोग राशि से बढ़कर दिया है ताकि कलीसिया में लोगों की सहायता की जा सकें। इस बंदी के समय परमेश्वर हमारी कलीसिया को सिखा रहा है कि धन एक आशीष है जिसे हम एक दूसरे के साथ बांट सकते हैं। इसके फलस्वरूप परमेश्वर ने हमारी सहायता की कि हम इस बंदी के समय अपनी कलीसिया के सदस्यों की सहायता करने के साथ ही साथ, अन्य कलीसियाओं के लोगों की आर्थिक सहायता भी कर सके।      

हमारा परमेश्वर सार्वभौमिक है और यह कठिन परिस्थिति भी परमेश्वर के नियंत्रण में है। हम धन्यवादी हैं कि परमेश्वर ने इस परिस्थिति में भी हमारी कलीसिया की सहायता की है, जिसके फलस्वरूप हम एक दूसरे की देखभाल कर सके। यद्यपि हम स्थानीय कलीसिया के रूप में एकत्रित नहीं हो पा रहे हैं, फिर भी हम व्यवहारिक रीति से यह प्रमाणित कर पा रहे हैं कि हम एक देह के अंग हैं। परमेश्वर हमारी सहायता करें कि हम एक दूसरे के प्रति अपने प्रेम और चिन्ता में नियमित रीति से बढ़ते जाएं। और परमेश्वर हमारी सहायता करे कि उसकी इच्छा में होकर जब हम फिर से एकत्रित हों, तो हम उस समय भी एक दूसरे के लिए प्रार्थना करें, वचन की शिक्षा में बढ़ें, सप्ताह-भर एक दूसरे के सम्पर्क में रहें, पहुनाई करें, और आर्थिक रीति से कलीसिया के भाइयों और बहनों के जीवन में सहयोग करें।

Photo by Nathan Dumlao on Unsplash

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आइज़क सौरभ सिंह
आइज़क सौरभ सिंह

सत्य वचन कलीसिया में वचन की शिक्षा देने और प्रचार करने की सेवा में सम्मिलित हैं।

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