एक महान आदान-प्रदान
जॉन पाइपर द्वारा भक्तिमय अध्ययन

जॉन पाइपर द्वारा भक्तिमय अध्ययन

संस्थापक और शिक्षक, desiringGod.org

मैं सुसमाचार से लज्जित नहीं होता, क्योंकि यह प्रत्येक विश्वास करने वाले के लिए, पहले यहूदी और फिर यूनानी के लिए, उद्धार के निमित्त परमेश्वर की सामर्थ्य है। क्योंकि इसमें परमेश्वर की धार्मिकता प्रकट होती है। (रोमियों 1:16-17)

हमें ऐसी धार्मिकता की आवश्यकता है जो परमेश्वर को ग्रहणयोग्य हो। परन्तु यह धार्मिकता हमारे पास नहीं है। हमारे पास जो है वह केवल पाप है। 

किन्तु, परमेश्वर के पास वह है जिसकी हमें आवश्यकता है तथा हम जिसके योग्य नहीं हैं — अर्थात धार्मिकता; और हमारे पास जो है उससे परमेश्वर घृणा करता है और उसे तिरस्कारता है — अर्थात पाप। ऐसी परिस्थिति के लिए परमेश्वर का उत्तर क्या है?

उसका उत्तर है यीशु ख्रीष्ट, परमेश्वर का पुत्र जो हमारे स्थान पर मरा और जिसने हमारे दोष (दण्डाज्ञा) को अपने ऊपर ले लिया। “अपने ही पुत्र को पापमय शरीर की समानता में तथा पाप के लिए बलिदान होने को भेज कर, उसने [परमेश्वर ने] शरीर में पाप को दोषी ठहराया” (रोमियों 8:3)। किसके शरीर ने हमारे दोष (दण्डाज्ञा) को अपने ऊपर लिया? उसके शरीर ने। किसके पाप को दोषी ठहराया जा रहा था? वह तो हमारे पाप थे। यह एक महान आदान-प्रदान है। इसी बात को पुन: 2 कुरिन्थियों 5:21 में देखिए: “जो पाप से अनजान था, उसी को उसने हमारे लिए पाप ठहराया कि हम उसमें परमेश्वर की धार्मिकता बन जाएं।”

परमेश्वर ने हमारे पापों को ख्रीष्ट के ऊपर डाल दिया और उसमें हमारे पापों को दण्डित किया। और ख्रीष्ट की आज्ञाकारी मृत्यु में, परमेश्वर अपनी धार्मिकता को पूरी करता है तथा न्योचित भी ठहराता है और धार्मिकता हम पर अभ्यारोपित (हमें इसका लाभ मिलता है) करता है। हमारे पाप ख्रीष्ट पर; उसकी धार्मिकता हम पर। 

हम इस बात पर जितना भी बल दें वह कम ही होगा कि हमारी सबसे बड़ी समस्या के समाधान के लिए परमेश्वर का उत्तर ख्रीष्ट ही है। यह सब ख्रीष्ट के कारण है।

आप कभी भी ख्रीष्ट से प्रेम करने में अति नहीं कर सकते हैं। आप उसके विषय में सोचने में अति नहीं कर सकते हैं, या उसको धन्यवाद देने में अति नहीं कर सकते हैं, या उस पर निर्भर होने में अति नहीं कर सकते हैं। हमारी सारी क्षमा, हमारा धर्मी ठहराया जाना, हमारी सारी धार्मिकता ख्रीष्ट में ही पाई जाती है। 

यही सुसमाचार है — यह अच्छा समाचार कि हमारे पाप ख्रीष्ट पर डाल दिए गए हैं और उसकी धार्मिकता हमारे ऊपर डाल दी गई है, और इस महान आदान-प्रदान का लाभ हमें प्राप्त हो जाता है, हमारे अच्छे कार्यों के द्वारा नहीं किन्तु केवल विश्वास के द्वारा। “क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है। और यह तुम्हारी ओर से नहीं वरन परमेश्वर का दान है, यह कार्यों के कारण नहीं जिससे कि कोई घमण्ड करे” (इफिसियों 2:8-9)। 

यह वह अच्छा समाचार है जो बोझ को हटाता है और आनन्द प्रदान करता है तथा हमें दृढ़ बनाता है।

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