“और ऐसा हुआ कि उनके वहाँ रहते हुए मरियम के प्रसव के दिन पूरे हुए। उसने अपने पहलौठे पुत्र को जन्म दिया, और उसे कपड़ों में लपेटकर चरनी में रखा, क्योंकि सराय में उनके लिए कोई जगह न थी।” (लूका 2:6–7)
आप यह सोच सकते हैं कि यदि परमेश्वर मरियम और यूसुफ को बैतलहम लाने के लिए सम्पूर्ण साम्राज्य में जनगणना का उपयोग कर सकता है, तो वह निश्चित रूप से यह भी सुनिश्चित कर सकता था कि उनके लिए सराय में एक कमरा उपलब्ध हो।
हाँ, वह कर सकता था। वह निश्चय ही ऐसा कर सकता था! और यीशु एक धनी परिवार में जन्म ले सकता था। वह जंगल में पत्थर को रोटी में बदल सकता था। वह गतसमनी में अपनी सहायता के लिए 10,000 स्वर्गदूतों को बुला सकता था। वह क्रूस से नीचे आकर स्वयं को बचा सकता था। प्रश्न यह नहीं है कि परमेश्वर क्या कर सकता था, किन्तु प्रश्न यह है कि वह क्या करना चाहता था।
परमेश्वर की इच्छा थी कि यद्यपि ख्रीष्ट धनी था, तौभी तुम्हारे कारण वह निर्धन हो जाए। बैतलहम के सभी सरायों में “स्थान नहीं है” के चिन्ह तुम्हारे लिए थे। “वह तुम्हारे लिए निर्धन बन गया” (2 कुरिन्थियों 8:9)।
परमेश्वर अपने बच्चों के लिए सभी वस्तुओं—यहाँ तक कि विश्रामालय की क्षमता और रहने के स्थानों की उपलब्धि—पर राज्य करता है। कलवरी का मार्ग बैतलहम में “स्थान नहीं है,” के चिन्ह के साथ आरम्भ होता है और यरूशलेम में क्रूस पर थूके जाने और ठट्ठा उड़ाए जाने के साथ समाप्त होता है।
और हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि उसने कहा, “यदि कोई मेरे पीछे आना चाहता है तो वह स्वयं को नकारे, प्रतिदिन अपना क्रूस उठाए और मेरा अनुसरण करे” (लूका 9:23)।
हम कलवरी के मार्ग पर उससे मिलते हैं और उसे यह कहते हुए सुनते हैं, “वह वचन जो मैंने तुमसे कहा स्मरण रखोः ‘दास अपने स्वामी से बड़ा नहीं है।’ यदि उन्होंने मुझे सताया तो वे तुम्हें भी सताएँगे” (यूहन्ना 15:20)।
जो उत्साह से पुकारता है, “तू जहाँ-जहाँ जाए मैं तेरे पीछे चलूँगा,” उसके लिए यीशु का प्रतिउत्तर है, “लोमड़ियों के भट और आकाश के पक्षियों के घोंसले होते हैं, पर मनुष्य के पुत्र के लिए सिर छिपाने के लिए भी कोई स्थान नहीं” (लूका 9:57–58)।
हाँ, परमेश्वर यह सुनिश्चित कर सकता था कि यीशु के जन्म के समय उसके लिए एक कमरा उपलब्ध हो। परन्तु ऐसा करना कलवरी के मार्ग से भटक जाना होता।